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Thursday, February 25, 2010

सपना सपना ही रहने दो,

सपना सपना ही रहने दो,
सपने मैं ही सही तुम्हे अपना कहने दो,

तुम्हें मुबारक हो घर अपना
दीवारों से मुझको लिपटा रहने दो,

महफ़िल में गाना तुम गीत अपने ,
ग़ज़ल मेरी है मुझे ग़ज़ल कहने दो,

लहरों ने छुआ साहिल को कई बार,
मुझे तुम्हारा अहसास ही रहने दो,

खामोश हैं लब मेरे तो कोई बात नहीं ,
कहते है कहानी आँखों के अश्क उन्हें कहने दो,

मील के पत्थर बताते हैं मंजिल का पता.
पत्थर ही सही उसे मेरा हम सफ़र रहने दो,

सब कह लेते है जज़्बात अपनी जुबान से,
कलम मेरी भी कुछ कहती है उसे कहने दो.

इंतज़ार की हद्द बाकी है अभी,
आँखों को मरने के बाद भी खुला रहने दो,

सपना सपना ही रहने दो,
सपने मैं ही सही तुम्हे अपना कहने दो.

है भी नहीं भी -----

है भी नहीं भी -----
तू मुझसे मिला भी है नहीं भी
तुझसे मुझे गिला भी है नहीं

इस तन्हाई के सफर में
तू साथ चला भी है नहीं भि

वो लहरों का साहिल से मिलना
हुआ भी है नहीं भी

इस पूरनमासी की रात
चांद खिला भी है नहीं भी

कल जो पतझड़ था
वो आज सावन है नहीं भी

जो देखे ख्वाब आंखों ने
वो रात आज भी है नहीं भी

जो बातें मैंने कही तुमसे
वो बातें तुमने सुनी भी है नहीं भी

बदल गई है मेरी शब्दावली
तू मेरा गीत भी है गजल भी

जो कहानी थी मेरी वही
आज तुम्हारी भी है मेरी भी

apni neendon ko mujh par wara karta hai..

har pal har gazal main wo baat karta hai meri,
har gazal ko wo mere liye geet ki tarah rakhta hai,

wo masoom to nahi hai kisi bhi taraha,
magar har baat se bekhabar khud ko rakhta hai,

puchta hai wo baat mere dil ki aksar mujhse,
apne dil ki baat wo aksar apne dil hi main rakhta hai,

shaam dhale ya subah jaage ,
main soyi rahti hoon uski hi baahon mai,

wo jaag jaag kar meri zulfon ko sawara karta hai,

wo khud bhi doob jata hai bahut,
aur mujhko bhi gahre main utara karta hai,

main rang gayi hoon uske hi rang mai iss kadar,
jaise rang raje purane duppate ko nikhara karta hai,

chaand taare bhale na laa saka wo mere liye,
wo khud ko jala meri raahon main ujala karta hai,

wo pal pal mere liye sanwara karta hai,
apni neendon ko mujh par wara karta hai

thakan...

Palko par tut te khawabo ki thakan

labo par dum todti muskurahat ki thakan

ye khanak thi teri yaadon ki dil main,

mere dil ko har pal jhakjhorti teri yadon ki thakan

thak jaati to ruk jaati kisi moud par,

chalte chalte manzil k kho jane ki thakan.

रस्मे ऐतबारी....

देखिये दुनियाँ में रस्में ऐतबारी बहुत है 
ये तेरी कसम मेरे दोस्त मेरे लिये भारी बहुत है

रिश्ते तो बहुत हैं इस दुनियाँ में हमारे लिये
ये अपने सम्बन्ध हर रिश्ते पर भारी बहुत हैं 

वक्त का तकाजा है वक्त बीत ही जायेगा वर्ना हर लम्हा मेरे लिये भारी बहुत है

लिखे हैं जो शब्द मैने कुछ तेरे कुछ मेरे लिये 
बन जाये गर गज़ल तो ये गज़ल भारी बहुत है 

राज़ बना रह तू भी , नीलम मैं भी बन जाऊँगी 
क्योंकि दुनियाँ की हर हद्द पे अपनी ये जिद भारी बहुत है 

लम्बा है सफर अपना कभी ये ख़त्म ना होगा उस पर सफर में मील के पत्थर भारी बहुत हैं 

कोई मेरी ही तरह मुझको उठायेगा कैसे 
मेरे ही जख्मों की लाश भारी बहुत है ।

- - नीलम - - - -

Monday, February 8, 2010

तुम भले मुझको जलाओ शमा की मानिंद,
तुम जलो परवाना बन मुझे अच्छा नहीं लगता,

सफ़र मैं बैठी हूँ इंतज़ार मैं तेरे,
तुम अनजान बन नजदीक से गुज़र जायो अच्छा नहीं लगता ,

अच्छा तो लगता है तेरा अहसास भी,
मगर तू नहीं है पास ये मुझे अच्छा नहीं लगता,

लोग हंसते हैं मेरे जख्मों पर,
तुम भी मुस्कुराओ मुझे अच्छा नहीं लगता,

जाम पियो भले मेरी आँखों से तुम सुबह शाम,
शराबी कहलाओ सरे आम मुझे अच्छा नहीं लगता ,

तुम रहते हो ख्यालों में हार घडी,
खवाबों में ना आयो ये अच्छा नहीं लगता,

इतने आ जयो करीब ,कोई दुरी न रहे,
प्यार में रहे होश -ओ-हवास ये अच्छा नहीं लगता,

तुम पूछते हो कहानी मेरी,
फ़साना अपना न सुनाओ,ये अच्छा नहीं लगता,

कट तो जाता है वक़्त लेकिन,
लम्हा लम्हा मौत आये मुझे ,अच्छा नहीं लगता,

मेरे दर्द भरे नगमे गुनगुनाओ भले,
उनपर तुम करो वाह वाह ,मुझे अच्छा नहीं लगता.