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Wednesday, March 24, 2010

फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो...

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mann to jalta hi hai , kyun ko tan bhi jala dete ho...Share
Mon at 4:52pm | Edit Note | Delete
mere labon ko choo kar kyun aag laga dete ho,
mann to jalta hi hai ,kyun tan ko bhi jala dete ho.

shama jalai thi maine roshni k liye ,
tum hath badha kar kyun use bujha dete ho,
mann to jalta hi hai ,kyun tann ko bhi jala dete ho,

ye jism pighal raha hai katra katra karke,
kyun boond boond pilaate ho, ..
mann to jalta hi hai ,kyun tan ko bhi jala dete ho.

din bhar rahte ho khayalon main, raaton ko bhi jagate ho,
mann to jalta hi hai ,kyun tan ko bhi jalate ho.

jab bhi kabhi tanhaai mein sochti hun tumne,
kyun mere kaan mein kuchh gunguna dete ho,
mann to jalta hi hai kyun tan ko bhi jala dete ho.

jab bhi kuch puchna chahti hoon tumse,
mujhe neelam ,aur khud ko masoom bata dete ho,
mann to jalta hi hai , kyun ko tan bhi jala dete ho.

main "JEET" jaati hun har ek musibat se magar,
jaane kaise tum mujhe hara jaate ho.
mann to jalta hi hai kyun tan bhi jala dete ho.
Written on Monday · Comment · Like
Manoj Joshi, Dr. Rajeev Shrivastava, Vijay Krishna Mishra and 3 others like this.
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Neelu Sharma Manoj ji bahut bahut shukriya.
about an hour ago ·

Neelu Sharma Neelima ji...jarra nawaazi ka bahut bahut shukriya.
about an hour ago ·

तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.........Share
Friday, March 19, 2010 at 1:03pm | Edit Note | Delete
जब मैं रूठ जाती हूँ ,
और तब तुम मुझे अपनी जान बताते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब मैं सोती हूँ तुम्हारे सीने पर सर रख कर ,
तुम पलकों पर मेरी फिर वही खवाब सजाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब तुम मेरे गले मैं बाहे डाल देते हो,और मैं खो जाती हूँ
तब तुम मेरी आँखों से उतर कर मेरे दिल मैं समां जाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब तुम मेरी चोटी बनाते हो,
और होंठों से मेरी गर्दन को सहलाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

रोज मुझे चाँद ,
और खुद को मेरा महबूब बतलाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब तुम अपने हाथों से बिंदिया ,
और मेरी मांग सजाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

कतरा कतरा बिखर जाती हूँ रात भर तुम्हारी बाहों मे ,
फिर भी तुम मुझे सुबह तक समेट लाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,


रात भर मुझ पर बेशुमार प्यार लुटाते हो,
सुबह होते ही खुद को मासूम और मुझको नीलम बताते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.

फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो...

जब मैं रूठ जाती हूँ ,
और तब तुम मुझे अपनी जान बताते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब मैं सोती हूँ तुम्हारे सीने पर सर रख कर ,
तुम पलकों पर मेरी फिर वही खवाब सजाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब तुम मेरे गले मैं बाहे डाल देते हो,और मैं खो जाती हूँ
तब तुम मेरी आँखों से उतर कर मेरे दिल मैं समां जाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब तुम मेरी चोटी बनाते हो,
और होंठों से मेरी गर्दन को सहलाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

रोज मुझे चाँद ,
और खुद को मेरा महबूब बतलाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब तुम अपने हाथों से बिंदिया ,
और मेरी मांग सजाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

कतरा कतरा बिखर जाती हूँ रात भर तुम्हारी बाहों मे ,
फिर भी तुम मुझे सुबह तक समेट लाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,


रात भर मुझ पर बेशुमार प्यार लुटाते हो,
सुबह होते ही खुद को मासूम और मुझको नीलम बताते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.

Wednesday, March 3, 2010

tu yahin tha ab kahin nahi hai..

Tu raha hai paas sada hi ,
dur jab se gaya hai,

ik saya apna mere sath chor gaya hai,

main sagar ki uthati girti lahron main, tujhe dhundhati hoon,
tu chain ki neend kisi aur kinaare soya hai,

abhi tak to tha sath hamare ,
fir ab itna dur kyun ho gaya hai.

tu phulon main hai, kaliyon main hai,
tu baag aur chaman ki galiyon main hai,

teri khushboo se mann mera, meri akhiyon ko bhigota hai,

kabhi dikhta hai , kabhi fir chip jata hai,
abhi mila tha tu mujhse ,abhi gum ho jata hai.

hawa kuch yun chukar gayi hai mujhko,
jaise sparsh ho tera wahi apna saa.

ab aandhi ki tarah tu aankhon se ojhal ho gaya hai,

wo ghar tera hai wo basti bhi teri hai,
tu nahi hai yahan fir bhi chal rahi grahasthi teri hai,

har aahat pe laga k tu yahin hai yahin kahin hai,
doud k chaha pakdna ,lekin..

tu yahin tha ab kahin nahi hai,

kahin nahi hai.
तुम खवाब बनकर आयो तो नींद आ जाये,
आगोश मैं अपनी सुलाओ तो नींद आ जाये,

चूम लो अपने होठों से मेरी खामोश आँखों को ,
मेरी पलकों पर वही खवाब सजाओ तो नींद आ जाये,

तुम छु लो फिर गुज़रे ज़माने की तरह,
अहसास वही फिर से जगाओ तो नींद आ जाये.

मैं शमा बन तनहा जलती हूँ रोज रातों मैं,
तुम परवाना बन मुझसे लिपट जायो तो नींद आ जाये.

खून बहता है पानी बन रगों मैं मेरी,
तुम नस नस मैं समां जायो तो नींद आ जाये,

खामोश हूँ मैं किसी गुज़रे फ़साने की तरह,
मुझे ग़ज़ल की तरह ,तुम गुनगुनाओ तो नींद आ जाये.

मासूम तो हूँ मैं भी ,मगर नीलम की तरह ,
तुम भी मेरे लिए बदल जायो तो नींद आ जाये.

आज आग मेरी नस नस मैं लगाओ तो नींद आ जाये,
आगोश मैं अपनी सुलाओ तो नींद आ जाये.
तू मुझसे मिला भी है नहीं भी
तुझसे मुझे गिला भी है नहीं

इस तन्हाई के सफर में
तू साथ चला भी है नहीं भि

वो लहरों का साहिल से मिलना
हुआ भी है नहीं भी

इस पूरनमासी की रात
चांद खिला भी है नहीं भी

कल जो पतझड़ था
वो आज सावन है नहीं भी

जो देखे ख्वाब आंखों ने
वो रात आज भी है नहीं भी

जो बातें मैंने कही तुमसे
वो बातें तुमने सुनी भी है नहीं भी

बदल गई है मेरी शब्दावली
तू मेरा गीत भी है गजल भी

जो कहानी थी मेरी वही
आज तुम्हारी भी है मेरी भी.
खुद जली और मुझको भी जला गयी होली,

राज कई जलाए होली मैं

हर बार बची राख में चिंगारी से, वो राज फिर भी बचा गयी होली,

अपने जिस्म को रंगा मैंने लाल पीले ,नीले रंगों से,

हर रंग को मेरे आंसुओं मैं फिर से बहा गयी होली,

खुद भी जली ,जल कर अपनी राख सा, मुझे भी राख बना गयी होली.

सोच रही थी इस होली पर हो जायुंगी आशा ,

लेकिन नीलम होने का अहसास फिर से करा गयी होली .
मै आज भी तनहा हू,
यकीन नही आता तो यकीन दिलाइये मुझे,

अब फ़िर से आये हो तो ,
एक बार फ़िर से जाकर बताइये मुझे,

अजब गम ज़दा हू मै, आज तक सहला रही हू जख्मो को
इक और नया जख्म दे जाइये मुझे,

मै बहा रही हू आज भी कतरा कतरा आसू,
हो सके इस बारिश से बचाइये मुझे,

बहुत दिनो से मै रास्ते का बेकार सा पत्थर हू,
अब तो मील का पत्थेर बनाइये मुझे,

मै चाहती हू अब तुम सोने कि मुझे दे दो इज़ाज़त ,
इस चिता से अब ना जगाइये मुझे ,

तुम बसे हो राज़ कि तरह आज भी मेरे दिल मे,
आप भी नीलम सा अब ना दुनिया से चुपाइये मुझे