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Wednesday, January 12, 2011

मुस्कान

 
 
उस सुंदर सी मुस्कान के पीछे
आँखों से मोती झरते थे!

भीगे भीगे कुछ सपने थे,
कुछ टूटे ,कुछ छूटे अपने थे!

उस सुंदर सी मुस्कान के पीछे,
आँखों से मोती  झरते थे!

कुछ पिघले पिघले पल अपने थे,
कुछ लम्हे भी तो कल अपने थे!

उस सुंदर सी मुस्कान के पीछे ,
आँखों से मोती झरते थे!

राहों मे यूँही चलते चलते,
मजिल से पहले वो हमसे रूठ चुके थे!

उस सुंदर सी  मुस्कान के पीछे ,
आँखों से मोती  झरते थे!

तन उसका भी गीला था, मन मेरा भी भीगा था,
आँखों की बरसात के चलते!

उस सुंदर सी मुस्कान के पीछे ,
आँखों से मोती  झरते थे!