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Sunday, July 24, 2011

~:कुछ शेर और मुक्तक:~




















कुछ शेर और मुक्तक अर्ज़ कर रही हूँ .आशा करती हूँ जिस तरह आपने मेरे कविताओं को सराहा है और मेरा हौसला बढाया है उसी तरह आप मेरे शेरो शायरी को भी सराहेंगे और मेरा मार्ग दर्शन करेंगे.. अगर कोई गुस्ताखी हो जाए तो मुझे क्षमा कर दीजियेगा ...



१)... आँखों के अश्क बह नहीं पाए, ,

खामोश रहे किसी से कुछ कह नहीं पाए,

किस से कहते दास्ताँ अपने दिल की,

जो था अपना उसे अपना कह नहीं पाए.

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२).जब भी रातों मे तेरी याद आती है ,

वीरान रातों में चाँदनी उतर आती है,

सोचती हूँ तुम मिलोगे खवाबों मे,

मगर ना तुम आते हो ना नींद आती है.

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३)मेरी तनहाइयाँ भी अब गुनगुनाने लगी हैं,

हाथों की चूडियाँ कुछ बताने लगी हैं,

ये खनक है शायद उनके आने की,

जिनकी याद में तू अब मुस्कुराने लागी है.



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4).अपने अश्कों को छलकाना चाहती हूँ,

तुझे अपने सीने से लगाना चाहती हूँ,

जहाँ मिलती है ज़मी आसमा से ,

वहां अपना आशियाना बनाना चाहती हूँ.


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5)रात ढलती गयी ,

दिन भी गुज़रता गया,

उस से मिलने की उम्मीद का,

ये पल भी फिसलता गया.


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चंद शेर अर्ज़ हैं......

१). ना जाने वो कौन लोग थे जिनके ज़ख्म वक़्त भर गया,

हमे तो हर सुबह इक नया ज़ख्म दे जाती है ज़िन्दगी.

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२). खफ़ा भी नहीं हूँ और इस गम से जुदा भी नहीं हूँ,

वजूद तो मेरा भी है यहाँ वहां फिजाओं मे, सिमटी हूँ अभी बिखरी नहीं हूँ


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३). देखिये मेरे इंतज़ार की हद्द है कहाँ तक,

मरने के बाद भी मेरी आँखे खुली रखना.

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४).यूँ ही मुस्कुराती और गुनगुनाती हूँ मैं,

कितना है दर्द दिल मैं खुद से भी छुपाती हूँ मैं.

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5).आन्धिओं मे कहाँ दम था गिरा जाती वो मुझे शाख से,

उसकी हसरत - ए -बहार की खातिर खुद टूट कर गिरा हूँ मैं.


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6).यूँ तो फुर्सत ही फुर्सत है ज़िन्दगी मे,लेकिन

इन दिनों खुद को जिंदा रखने मे बहुत मसरूफ हूँ मैं.


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14 comments:

  1. सुंदर रचनाओं के लिए बधाई।

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  2. यूँ ही मुस्कुराती और गुनगुनाती हूँ मैं,
    कितना है दर्द दिल मैं खुद से भी छुपाती हूँ मैं.

    ..bahut badiya prastuti.

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  3. Ek koshish khud ke ahsaason se aapke ahsaason ko shabdon ke jariye chhoo lene ki...
    ke saath lagayee tasveer bahut bahut achhi lagi..

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  4. achha likha hai aapne...


    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  5. aaj pahali baar aapko padha...aapke ahsaason ko chua..... bahaut kuch apne se lage....apni arzuon ko pannon main bun dena apne zazbaaton ke saath ....... kitna halka kr deta hai na ..... yun hi likhte rahiye

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  6. मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
    एस .एन. शुक्ल

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  7. मैने आपका ब्लॉग देखा बड़ा ही सुन्दर लगा बसु अफ़सोस यही है की मैं पहले क्यों नहीं आ पाया आपके ब्लॉग पे
    कभी आपको फुर्सत मिले तो आप मेरे ब्लॉग पे जरुर पधारे
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    दिनेश पारीक

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  8. नीलम,

    बहुत खूब , क्या कहूँ हर शेर एक से बढ़कर एक है .और ऊपर कि छोटी छोटी नज्मो ने अआपके शब्दों को दिल में उतार दिया है , आप बहुत अच्छा लिखती है .. दिल से बधाई ..

    आभार
    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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  9. रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं .

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  10. .अपने अश्कों को छलकाना चाहती हूँ,

    तुझे अपने सीने से लगाना चाहती हूँ,

    जहाँ मिलती है ज़मी आसमा से ,

    वहां अपना आशियाना बनाना चाहती हूँ.

    बहुत खूब

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  11. ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है!
    आप से निवेदन है इस लेख पर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दे!

    तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा
    मैंने आपका ब्लॉग चेक किया हें.
    आपका ब्लॉग अछा लगा,,,

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  12. स्वाभाविक अहसास.
    यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
    अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

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  13. यूँ तो फुर्सत ही फुर्सत है ज़िन्दगी मे,लेकिन
    इन दिनों खुद को जिंदा रखने मे बहुत मसरूफ हूँ मैं.
    बहुत खूब!

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  14. वाह!
    --
    महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ...!

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