उस सुंदर सी मुस्कान के पीछे
आँखों से मोती झरते थे!
आँखों से मोती झरते थे!
भीगे भीगे कुछ सपने थे,
कुछ टूटे ,कुछ छूटे अपने थे!
उस सुंदर सी मुस्कान के पीछे,
आँखों से मोती झरते थे!
कुछ पिघले पिघले पल अपने थे,
कुछ लम्हे भी तो कल अपने थे!
कुछ लम्हे भी तो कल अपने थे!
उस सुंदर सी मुस्कान के पीछे ,
आँखों से मोती झरते थे!
आँखों से मोती झरते थे!
राहों मे यूँही चलते चलते,
मजिल से पहले वो हमसे रूठ चुके थे!
उस सुंदर सी मुस्कान के पीछे ,
आँखों से मोती झरते थे!
तन उसका भी गीला था, मन मेरा भी भीगा था,
आँखों की बरसात के चलते!