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Thursday, October 3, 2013

इश्क की मजबूरियां...

ये तेरे इश्क की कैसी हैं मजबूरियां ....
जिसने बढा दी तेरे मेरे दरमियाँ दूरियां ...[नीलम]


          

सत्य घटना ...

१८ जुलाई २०१३ की रात , समय ,रात के १०.१५ ,…. बेटा ,… मम्मी गेट की चाबी कहाँ हैं ? माँ ,.. इतनी रात को कहाँ जाना है ,\? बेटा,.... मुझे दोस्त के यहाँ जाना है , माँ,.. इतनी रात को कहीं नहीं जाना चुपचाप सो जाओ , सुबह चले जाना। बेटा,… प्लीस चाबी दो ना , मैं जल्दी लौट आयूंगा। मगर माँ चाबी नहीं देती , और चाबी अपने तकिये के नीचे रख सो जाती है शायद किसी अनहोनी की आशंका हो रही थी माँ को, और बेटा इंतज़ार में था की माँ कब सोये और कब मैं चला जायुं , और कुछ देर बाद माँ की आँख लग गयी , और बेटा चाबी ढूंढते हुए माँ के तकिये तक आ पहुंचा और उसे वहां चाबी मिल गई , उसने चुपके से चाबी निकली और पीछे वाला गेट खोल कर चुपके से बाइक खींच कर कॉलोनी के गेट तक ले गया और बाइक स्टार्ट करके निकल गया दोस्त से मिलने। … अचानक रात ११.३० पर माँ की आँख खुली , जाने क्यूँ उसे लगा की बेटा शायद चाबी लेकर चला गया है उसने देखा चाबी नहीं थी , माँ को चिंता हुई उसने सो रहे अपने पति को उठाया और कहा सुनो नमित घर पर नहीं है। . और अभी तक घर भी नहीं आया , आप उसे फोन करो ,पिता ने फोन किया फोन पर बेटे की जगह किसी और की आवाज़ सुनाई दी , वो कह रहा था हम काफी देर से फोन करने की कोशिश कर रहे हैं ,मगर हमे ये नए ज़माने का फोन समझ ही नहीं आ रहा था, पिता ने घबराते हुए पूछा आप कौन ? सामने से आवाज़ आई मैं पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूँ , आपके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है , आप हॉस्पिटल पहुँचिये , पिता ये सुनकर जैसे सुन्न हो गए , कुछ बात पूछते नहीं बन रही थी, दिल था की हलक तक आ गया था , बुरे बुरे ख्याल आने लगे , थोड़ी हिम्मत जुटा कर पिता ने पूछा ,मेरा बेटा ठीक तो है ना…। पुलिस वाला बोला आपके बेटे की ओन डा स्पॉट डेथ हो गई है , आकर एक बार कन्फर्म कर लीजिये की वो आपका ही बेटा है या हो सकता है कोई और उसकी बाइक ले गया हो. माँ बहुत घबरायी हुए सी बोली क्या हुआ , बताओ ना , पिता ने हिम्मत करके कहा कुछ नहीं नमित का एक्सीडेंट हो गया है और वो अभी आई सी यू में है , सुबह मिलने देंगे , अभी तुम सो जाओ , और ऐसा कहकर पिता ने अपने बड़े बेटे को जगाया और सब बात बताई और कहा तुम जाओ और देख कर आयो की जो पुलिस वाला कह रहा है वो सच है या किसी ने भद्दा मज़ाक किया है, रात १२.३० पर बड़े बेटे का फोने आया वो रो रहा था , और रोते हुए उसने कहा पापा पुलिस वाले ने सच कहा ,नमित अब नहीं है , मैं उ सके पास ही हूँ,पुलिस वाले कह रहे हैं बॉडी पोस्ट मार्टम के बाद ही मिलेगी। पिता ने हिम्मत जुटा कर कहा बेटा घर आ जाओ ,और घर आकर अभी अपनी माँ को कुछ मत बताना। और बेटा घर लौट आया उस रात की रात बहुत लम्बी थी , और बेटे की डेड बॉडी लाने के लिए सुबह जब पिता और बेटा वहां पहुंचे तो डॉक्टर ने कहा , आपके बेटे की आँखों में अभी रौशनी है, क्या आप अपने बेटे की आँखें दान करना चाहेंगे ? और उस वक़्त एक पिता ना बनकर एक सच्चा इंसान बनकर पिता ने मुड़कर अपने बड़े बेटे की और देखा। ज़ैसे पूछ रहे हों की क्या तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नहीं, और बेटे ने स्वीकृति में गर्दन हिला दी. और पिता ने मुड़कर डॉक्टर से कहा मेरे बेटे के जो भी अंग किसी की जिंदगी बचाने के काम आ सकते हों वो सब मैं दान करने को तयार हूँ , और ऐसा कहकर पिता रो पड़े और हाथ जोड़कर डॉक्टर के सामने खड़े हो गए। डॉक्टर की आँखें छलक पड़ी , और डॉक्टर ने हाथ जोड़कर कहा धन्य है ऐसा पिता जो ऐसी परिस्थिथि में भी अपने बेटे के अंग दान कर दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए हिम्मत रखता है , धन्य हुआ वो बेटा जिसका ऐसा पिता है , और ऐसा कहकर डॉक्टर ने उन्हें गले से लगा लिया , और कहा काश समाज में ऐसे पिता होते तो आज कितनी जिंदगियां बचाई जा सकती थीं..
यह एक सत्य घटना है।