ख्याल भी हसरतें भी और ज़ुस्तज़ू भी हो .क्या खूब हो के उस पर तेरी जरुरत भी ना हो ....नीलम....
Followers
Total Pageviews
Monday, July 18, 2016
Monday, July 11, 2016
तुम जब भी आया करो ....
तुम जब भी आया करो
मुझे मिटा के जाया करो
कफन के साथ-साथ कब्र की मिट्टी भी दबाया करो
मैं उठ खडी होती हूँ
तुम्हारी याद आने पर
अपनी यादों को भी
मेरे साथ ही दफनाया करो .
तुम जब भी आया करो
मुझे मिटा के जाया करो
चार कान्धे थे जो
वो बेगानों के थे
उनमे इक कान्धा
अपना भी लगाया करो
तुम जब भी आया करो
मुझे मिटा के जाया करो .
तुम भी लौट जाना
बाकी गमजदों के साथ
बस अपने अहसास को
मेरे साथ मेरी कब्र में सुलाया करो
तुम जब भी आया करो
मुझे मिटा के जाया करो
वो जो रो रहे थे
वो भी तुम्हारे ही थे
उनसे कह दो
दो अश्क मेरे लिये भी बहाया करो
तुम जब भी आया करो
मुझे मिटा के जाया करो
तुम चढाते हो हर रोज
फ़ूल मेरी कब्र पर
उम्मीद का इक दिया भी तो कभी -कभी जलाया करो
तुम जब भी आया करो
मुझे मिटा के जाया करो
कफन के साथ-साथ कब्र की मिट्टी भी
दबाया करो ....@ नीलम...
Monday, July 4, 2016
धूप
धूप....
कहां है धूप मेरी
मुठियों मे
सिर्फ अहसास की गर्मी ही तो
है इन हथेलियों में
जिन्हें कभी छुआ था तुमने
दिसम्बर की जमा
देने वाली सर्दी में
तुम्हारे नरम हाथों की
गरम छुअन लिए
बैठा हूँ मेआज तलक
और तुम कहती हो
मेरी मुट्ठीयों में
गुनगुनी धूप बंद है
काश !
तुम अपनी नरम हथेलियां
एक बार फिर मेरी झुलस रही
हथेलियों पर रख पाती ...
तब जान जाती कि
ये गुनगुनी धूप नहीं ,
तुम्हारे नरम हाथों का
गुनगुना अहसास है .... ( नीलम )
तुम रुठा ना करो
उफ़ ..
मेरी धड़कने बढ़ने लगती हैं ,सांसे जमने लगती हैं ,
जिस्म पत्थर हो जाता है ,आँखें छलकने लगती हैं,
देखो, यूँ इस कदर मुझसे तुम रूठा ना करो .....[नीलम] —