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Friday, November 18, 2016

पुरनम रौशनी

पुरनम रौशनी रही तेरे ख्यालों की शब भर
सुबह तक हमने खुद को तेरी यादों के अँधेरे से निकलने ना दिया.
*नीलम *

खामोश लब

तेरे खामोश लबों की बातें
आँखों से समझ लेता हूँ
बडी अजीब बात है
धड़कने मगर मेरे दिल की
दिल उसका धड़काती
नहीं हैं
*नीलम *

दरवाजे

खुले रख दिये हैं सभी दरवाजे इंतजार के
तन्हाई में कभी तो मिल करें बातें प्यार  से
_नीलम _