आज कुछ शब्द खुद के लिए बो देना चाहती हूँ
शायद कोई फूल, कोई शाख खिल उठे मेरे लिए
जानती हूँ,
उगा रही हूँ, बंजर जमीन पर
उगेगा तो क्या अंकुरित भी नहीं हो पायेगा
लेकिन अपने तसल्ली के लिए उगा लेना चाहती हूँ
अपने खबाब के बंजर जमीन पर
कुछ शब्द अपने लिए
जिन्हें आज तक बोया तो बहुत बार
लेकिन काटने की रुत आने से पहले ही मुरझा जाते हैं
शायद मेरे आँखों का पानी कम हो गया
उन्हें सींचने के लिए
चलो फिर से कोई घाव दे दो मुझे
ताकि नयनों का नीर सूखने न पाए
मेरे शब्दों का पौधा मुरझाने न पाए............
आपने जो खाबाबों में शब्द बोये हैं......मुझे नहीं लगता वो जमीन बंजर है.......
ReplyDeleteऔर न ही उसको सींचने के लिए आपको रोने की जरुरत है.........:)
आपके शब्द के हर बोल लगता है जी रहे हैं..........बहुत सुन्दर!! एक शानदार अभिव्यक्ति......
आप तो प्रकाश हो ..........हम जैसों के लिए...........:)
Bahut bahut sundar kruti hai Mam!!
ReplyDeleteye shabd kahan se laati ho
ReplyDeleteye shabd kahan se laati ho........
har ek kitaab ke panne par
bas tum hi tum chhaa jaati ho
ye shabd kahan se laati ho..........
jab jab sukha sa padta hai
ya aati hai jab khiza kahin
tab tab tum apne geeton se
hariyaali si le aati ho
ye shabd kahan se laati ho..........
tum likhti ho jab geet koi
yaa likhti ho koi nagma.........
sach kehna jhut nahi kehna
tum khuda se batiyaati ho....
ye shabd kahan se laati ho......
ye shabd kahan se laati ho.....
(mere guruji ke liye)...........
sunder shabd sunder chitra.
ReplyDeletebahut hi sundar soch di udari hai....bahut hi changa tassuvar hai ....'chalo phir se koi ghav de do mujhe, taki mere nainon ka neer sookhne na paye,........bahut hi touching hai ....
ReplyDeleteMukesh jee..tahe dil se shukriya...:)
ReplyDeleteamit betu jee..shukriya.
ReplyDeleteGod bless u bachha.
Ahhh Ranjeet..
ReplyDeletetum likhti ho jab geet koi
yaa likhti ho koi nagma.........
sach kehna jhut nahi kehna
tum khuda se batiyaati ho....
ye shabd kahan se laati ho......
ye shabd kahan se laati ho.....
Tum ye shabd khan se laaye..behadd umda.
aur plss mujhe guru mat kaho mujhe to khud abhi bahut seekhna hai.
Shukriya Ranjeet. May God Bless U.
Baichain Aatma jee..bahut shukriya...:)
ReplyDeletePapa jee apke housla afzaai ka bahut bahut shukriya.
ReplyDeleteखुद के लिए शब्द बोने पर तो बंजर ज़मीन से भी अंकुर ज़रूर फूटेंगे !आपने बहुत सुन्दर लिखा . बहुत बधाई
ReplyDeleteNeelam Ji,
ReplyDeleteBahut sunder kavita
चलो फिर से कोई घाव दे दो मुझे
ताकि नयनों का नीर सूखने न पाए
मेरे शब्दों का पौधा मुरझाने न पाए............
Surinder Ratti
Mumbai
vry touching.....gr8 wrk !i like vry much.
ReplyDeleteVery nice blog :) I would like to invite you to my website www.classyhjewelry.com
ReplyDeleteI am also doing a giveway feel free to enter if u like :)
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....आपकी कविताएँ बहुत अपनी सी लगीं....सप्तरंगी प्रेम ब्लॉग से आपके ब्लॉग का परिचय मिला...
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पढियेगा ..
http://geet7553.blogspot.com/
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एक गुज़ारिश है की कमेंट्स की सेटिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें....टिप्पणी देने में सरलता होगी ..आभार
acche bhaav hain....magar kavita par kuchh aur kaam karne kee aavshyaktaa hai....jisase vah aur bhi acchhi ho jaati...!!
ReplyDeleteजिन्हें आज तक बोया तो बहुत बार
ReplyDeleteलेकिन काटने की रुत आने से पहले ही मुरझा जाते हैं
शायद मेरे आँखों का पानी कम हो गया
उन्हें सींचने के लिए
उस तरफ
एक चौंके हुए मैदान में
या जागे हुए दालान में
अब भी चोंच मारती है
उम्मीद की किरनें
अब भी पलकों की अंजुरियां
बड़ी प्यास से उन्हे
बटोर लेना चाहती है
अब भी खाली है
इंतजार के सैकड़ों गुलदान!
शायद यही कह रही है आपकी कविता और उस पर लगी तस्वीर
नीलमg!
सुख बोया दुख काटा ।
ReplyDeleteहर सौदे मे घाटा ।
नीलम जी , जीवन की विसंगतियों को आपने भावपूर्ण वाणी दी है ।
प्रशंसनीय ।
अप्रतिम!
ReplyDeleteचलो फिर से कोई घाव दे दो मुझे
ReplyDeleteताकि नयनों का नीर सूखने न पाए
बस ye दो पंक्तियाँ ही रचना की जान है ......!!
अद्भुत .....!!
ye word verification hta lein ....
आपने तो बहुत सुन्दर लिखा...
ReplyDelete___________________
'पाखी की दुनिया' में समीर अंकल के 'प्यारे-प्यारे पंछी' चूं-चूं कर रहे हैं...
नीलम जी, बहुत सुन्दर भाव हैं आपके। साथ ही जो फोटो भी लगाया है आपने, वह भी काबिले तारीफ है।
ReplyDelete................
नाग बाबा का कारनामा।
महिला खिलाड़ियों का ही क्यों होता है लिंग परीक्षण?
खूबसूरत अभिव्यक्तियाँ...बधाई.
ReplyDeleteMain neer bhari jee..bahut bahut shukriya.
ReplyDeleteSurinder jee..tahe dil se shukriya.:)
ReplyDeletePrarthaana jee...thanx lot.
ReplyDeleteHarjot jee thanx lot.
ReplyDeleteSangeeta jee..bahut bahut dhanyvaad.
ReplyDeleteBhopot nath jee..koshish karungi ki aage se aapko meri aur se achha padhne ko mile.
ReplyDeleteaapke shabdon se aur achha likhne ki prerna mili ..iske liye tahe dil se shukr guzaar hoon..aainda bhi yunhi sahi gaalaat batate rahiyega.
dhanyvaad.
Kumar zahid jee..wah bahut khoob..sahi kahaa aapne.
ReplyDeleteshukriya.
Arunesh jee..bahut bahut dhanyvaad.
ReplyDeleteAshish jee..dhanyvaad.
ReplyDeleteHarkeerat jee..bahut bahut shukriya.
ReplyDeletePakhi jee..bahut bahut shukriya.
ReplyDeleteScience Bloggers Association...
ReplyDeletebahut bahut shukriya.
K K Yadav jee bahut bahut dhanyvaad.
ReplyDeleteशाय मेरी आंखों का पानी कम हो गया है उन्हे सींचने के लिये,
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी पंक्ति ,बहुत सुन्दर रचना। बधाई।
चलो फिर से कोई घाव दे दो मुझे
ReplyDeleteताकि नयनों का नीर सूखने न पाए
नीलम जी एक बात बताइये
ये दर्द ,.....ये शब्द ...कहाँ से लातीं है
उफ्फ
nishabd ho gai aapke shabd pad ker ...nayan neer ki gagari chhalki ese ,jab dukh apana sa dekha tujhme mere man se
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