चलते चलते थक गयी हूँ,
कब तू छोड़ गया मेरा साथ ,किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
इक उम्मीद तेरे आने की,
मैं उसमे जलायुं अपने दिन और रात,किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
इक दर्द उठा तेरे सीने में,
मेरे दिल के भी है दर्द हज़ार ,किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
छलक जाते हैं तेरी आँखों के भी आंसूं ,
मेरी पलकों की बिन बदली बरसात , किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
इक करवट उधर तू बदले,
इधर मैं बदलू करवट बार बार, किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
इक तनहा चाँद तेरे अंगान का,
मेरे भी आँगन मैं टूटे तारे हज़ार ,किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
कब दामन छुटा, कब आस टूटी ,किसी से मत कहना,
ये राज की है बात,ये राज़ किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
मैं यूँही बैठी रही तेरी दहलीज़ पर ,
कब ,किस दिन टूटी नीलम की आस, किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
[नीलम]
इक तनहा चाँद तेरे अंगान का,
ReplyDeleteमेरे भी आँगन मैं टूटे तारे हज़ार ,किसी से मत कहना,
बिछोह का बयान । भावपूर्ण रचना ।
bhtrin ahsaas ki akkasi bdhai ho akhtar khan akela kota rasjthan
ReplyDeleteकब दामन छुटा, कब आस टूटी ,किसी से मत कहना,
ReplyDeleteये राज की है बात,ये राज़ किसी से मत कहना,
..
..
आप इतने शिद्दत से मन कर रहे हैं नीलम जी तो......उसे मानना ही पड़ेगा
lovely poem wilth much pain !
उत्कृष्ट रचना..बधाई
ReplyDeleteनीरज
नीलम जी, आपकी यह कविता मन को बहुत अच्छी लग रही है, विशेष कर आपका यह अभिनव प्रयोग. आभार ! .......... अनेकानेक शुभकामनायें.
ReplyDeletepoori kavita bahut hai aur aur dard mein doobi hui hai...jitni bhi tareef ki jaye kam hai...ati uttam...!
ReplyDeletelekin ye to wohi baat hui na ki 'tere samne baith ke rona, te dukh tainu nahi dasna' par payar mein sab jayaz hai...
meri duayein tumhare sath hain
इक करवट उधर तू बदले,
ReplyDeleteइधर मैं बदलू करवट बार बार, किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
bhawon se bhari rachna
इक तनहा चाँद तेरे अंगान का,
ReplyDeleteमेरे भी आँगन मैं टूटे तारे हज़ार ,किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
ek khas baat dekhi neelu g aapne
har comment karne wale ki pasand alag alag lines hain...iska matlab hai aapki puri kavita ne sabko moh liya..:)
waise aap sayad bahut din baad aaye...to ye galat hai....
main aapka prashanshak hoon:)
आदरणीय नीलम जी
ReplyDeleteनमस्कार !
अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार
lazabaab
ReplyDeleteश्रीमान जी, क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
ReplyDeleteश्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी कल ही लगाये है. इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.
इक दर्द उठा तेरे सीने में,
ReplyDeleteमेरे दिल के भी है दर्द हज़ार ,किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
Khoob kaha....Kmaal ki panktiyan hain....
उत्कृष्ट रचना| धन्यवाद|
ReplyDeleteकब दामन छुटा, कब आस टूटी ,किसी से मत कहना,
ReplyDeleteये राज की है बात,ये राज़ किसी से मत कहना,
मैं रोयुं जार जार तो चुप हो जा मुझसे मत कहना,
Nice post.
Please see :
http://quranse.blogspot.com/2011/05/quranic-teachings.html
प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
ReplyDeleteदोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?
bahut achchi lagi.
ReplyDeletegood one keep it up and check mine too :)
ReplyDeleteBahut Badia ....Uttam
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