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Tuesday, September 23, 2014

मौन शब्द ..

मैं क्या कहूँ अब..
तुम ही कुछ कहो ना ..
तुम्हारे लबों पर ख़ामोशी कहाँ अच्छी लगती है
तुम्हारे खामोश होते ही ,
मेरी धड़कनों की आवाज़ शोर करने लगती है ..

और मैं ..
उनकी आवाज़ सुनना नहीं चाहती ,
अब तो बोलो ना ,
मेरी ख़ामोशी को खामोश रखने के लिए ,
कुछ तो कहो ना ....
कुछ तो बोलो
अगर तुम खामोश हो जाओगे ,
तो मेरे मौन को कौन कहेगा ,
कौन कहेगा मेरे मन की बात ...
वैसे ही ...
जैसे ...
तुम कहते हो
अपनी कविताओं में
मौन शब्दों के संग...!!! …_[नीलम]-.

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