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Thursday, February 25, 2010

रस्मे ऐतबारी....

देखिये दुनियाँ में रस्में ऐतबारी बहुत है 
ये तेरी कसम मेरे दोस्त मेरे लिये भारी बहुत है

रिश्ते तो बहुत हैं इस दुनियाँ में हमारे लिये
ये अपने सम्बन्ध हर रिश्ते पर भारी बहुत हैं 

वक्त का तकाजा है वक्त बीत ही जायेगा वर्ना हर लम्हा मेरे लिये भारी बहुत है

लिखे हैं जो शब्द मैने कुछ तेरे कुछ मेरे लिये 
बन जाये गर गज़ल तो ये गज़ल भारी बहुत है 

राज़ बना रह तू भी , नीलम मैं भी बन जाऊँगी 
क्योंकि दुनियाँ की हर हद्द पे अपनी ये जिद भारी बहुत है 

लम्बा है सफर अपना कभी ये ख़त्म ना होगा उस पर सफर में मील के पत्थर भारी बहुत हैं 

कोई मेरी ही तरह मुझको उठायेगा कैसे 
मेरे ही जख्मों की लाश भारी बहुत है ।

- - नीलम - - - -

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