कुछ मेरी अनकही,
कुछ अपनी कही हुए वो सब बातें,
सब उकेर दो कागजों पर,
कुछ सपने लिखना ,
कुछ सपने लिखना ,
कुछ लम्हे लिखना,
जिन्हें अक्सर जीती हूँ मैं तुम्हारे लिए ,
कुछ रातें,
कुछ बीते हुए, अहसास भी लिख देना,
जीना चाहती हूँ मैं फिर से वही अहसास,
फिर से सजा लुंगी अपनी आँखों में,
भर लुंगी उन्हें मोतियों की तरह,
लेकिन तुम्हे आज एक वादा करना होगा,
इन मोतियों को गिरने नहीं दोगे कभी,
किसी और के कंधे पर,
खा लो कसम...
समेट लोगे मुझे,
मेरे खवाबों को सजा लोगे अपनी पलकों पर
मेरे लिए तोड़ लाओगे वो चाँद,
जो रोज़ मुझे और मेरी मोहब्बत को निहारा करता है,
अक्सर तुम्हारी खिड़की से,
इस बार छिपा दूंगी में उसे किसी कोने में,
नहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी.
और फिर बस में और तुम, और हमारी रात,
तुम और तुम्हारी बात.
बस तुम और तुम्हारी, मेरी बात.
कुछ मेरी अनकही,
ReplyDeleteकुछ अपनी कही हुए वो सब बातें,
सब उकेर दो कागजों पर,
कुछ सपने लिखना ,
कुछ लम्हे लिखना,
kitni pyari baate kahti ho Neelima jee.......kahan se ye soch laati ho aap!!
ब्लागजगत पर आपका स्वागत है ।
ReplyDeleteacchhi hai....
ReplyDeleteआपके ब्लॉग में चित्र संयोजन और आपकी कविता पंक्तियां मन को बहुत भाईं। मेरी शुभकामनाएं !
ReplyDeleteसुभाष नीरव
09810534373
www.kathapunjab.blogspot.com
www.setusahitya.blogspot.com
www.gavaksha.blogspot.com
www.srijanyatra.blogspot.com
दिल को छू गयी आप की कविता|
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना है
ReplyDeleteइस बार छिपा दूंगी में उसे किसी कोने में,
नहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी.
और फिर बस में और तुम, और हमारी रात,
तुम और तुम्हारी बात.
बस तुम और तुम्हारी, मेरी बात.
आप तो बहुत सुंदर कवितायेँ लिखती है आप के ब्लॉग पर आया तो बहुत खुसी हुई ...आप ऐसे ही लिखती जाएँ ....
ReplyDelete**
कुछ सपने लिखना ,
कुछ लम्हे लिखना,
जिन्हें अक्सर जीती हूँ मैं तुम्हारे लिए ,
**
Mukesh jee..bahut bahut shukriya.
ReplyDeleteSanjay jee..dhanyavaad.
ReplyDeleteBhutnaath jee..shukriya.
ReplyDeleteSubhash jee ..bahut bahut shukriya.
ReplyDeletePatali-The-Village jee...thanx lot.
ReplyDeletesurendra jee ..aapki shubhkaamnaaon ke liye bahut bahut Abhaar.
ReplyDeleteAnand jee..bahut bahut shukriya.
ReplyDeleteVeena jee..tahe dil se shukriya..:)
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteविशेष:
"नहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी"
आपने कविता तो अच्छी लिखी है पर इसमें वर्तनी की गलती है। जहां आपको लूंगी लिखना था, वहां लुंगी लिख दिया है। अर्थ का अनर्थ हो ऐसा नहीं करना चाहिए
ReplyDeleteअन्यथा न लें
Pavan jee meri trutiyon ki aur dhayaan dilaane ka bahut bahut shukriya. asha karti hoon aage bhi aap mera maarg darshan yunhi karte rahenge.
ReplyDeleteकल्पना को अच्छे पंख लगाए हैं आपने । अच्छा लगा । बधाई ,स्वागत ।
ReplyDeleteHi..
ReplyDeleteYun to Pahli baar aapke blog par aaya hun..par kavitaon main ek suparichit ahsaas ho raha hai...
kavita ahsaason se banti hain aur bhavnaon ka sangam hoti hain...aapki kavitayen bahut sundar lagin...Aaj se main bhi aapke blog ka follower hua...
Deepak...
welcome, great
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
वाह नीलम जी !
ReplyDeleteदेर से आ पाया आपके ब्लॉग पर किन्तु पढ़कर मज़ा आ गया
बहुत सुन्दर रचना है गुस्ताखी माफ़ पर एक विचार मन में उठा कई उसे लिखता हूँ
"चाँद को तोड़ कर
तुम देना फेंक
गली के उस मोड़ पर
जहाँ से कोई निहारता था तुम्हे
कोई बचपन में खिड़की पर
फिर हो गया गुम
उसी मोड़ पर सदा के लिए
चाँद के टुकड़ों को
फेंक देना उसी मोड़ पर
जहाँ से बदलते हैं
तेरे और उसके रास्ते
खुदा के वास्ते
बिखेर देना चांदनी को
उसी मोड़ पर
जहाँ से आती है हवा
उसकी भीनी महक लेकर ..."
चाँद के टुकड़ों को
ReplyDeleteफेंक देना उसी मोड़ पर
जहाँ से बदलते हैं
तेरे और उसके रास्ते
खुदा के वास्ते
बिखेर देना चांदनी को
उसी मोड़ पर
जहाँ से आती है हवा
उसकी भीनी महक लेकर ..."
kya kahun Raaj jee.. kya likha hai aapne.ufff.
bahut khoob.
bahut hi badiya.. ek umda post...
ReplyDeleteA Silent Silence : tanha marne ki bhi himmat nahi
Banned Area News : Oksana' dentist goes back to original story
chand ko kya maloom ki jalti hai kisi ki mohabbat uski chandani mai ...chupale gar khud ko badal mai to karar aaye ...
ReplyDeleteनहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी.
ReplyDeleteऔर फिर बस में और तुम, और हमारी रात,
तुम और तुम्हारी बात.
बस तुम और तुम्हारी, मेरी बात.-------------------------------बहुत कोमल एहसासों को आपने बड़ी खूबसूरती के साथ शब्दों में बांधा है।
pyaari kavita. badhai
ReplyDeleteनहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी.
ReplyDeleteऔर फिर बस में और तुम, और हमारी रात,
तुम और तुम्हारी बात.
बस तुम और तुम्हारी, मेरी बात.
भावनात्मक अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा