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Tuesday, December 28, 2010
.!! माँ....!!
.
.
माँ....!! माँ....!!
दिल की गहराईयों से निकला हुआ एक दिव्य शब्द,
जैसे ही मैं माँ को पुकारती ,
वो गहरी निद्रा से भी उठ कर मुझे अपनी बाहों मैं भर लेती,
और कहती क्या हुआ मेरी रानी बिटिया को,
डर गयी थी क्या!
और तब मैं उसे अपने पुरे दम से भीच लेती अपने में
माँ की बाहों का घेरा
मेरे लिए होता एक ठोस सुरक्षा कवच,
फिर डर को भूल उसकी गोद मैं आराम से सो जाया करती,
तब इस बात से होती अनजान की वो भी तो सोएगी....
और माँ अपनी आँखों की नींद चुपके से मेरी पलकों पर
रख कर ममता से भरी नज़रों से निहारा करती
और इसी तरह सुबह का सूरज का हो जाता आगाज
माँ की देहलीज़ पर,
और माँ धीरे से मेरा सर तकिये पर रख कर उठ जाया करती थीं,
हम सभी के लिए,
तब क्यूँ नहीं सोचा कभी माँ के लिए,
आज माँ बन जाने के बाद ,
माँ का हम सब के प्रति समर्पित होना समझ में आता है ,
कितनी ख़ुशी मिलती है अपना सर्वस्व अपने बच्चों पर न्योछावर करके,
खुद को अपने बच्चो में जीना किता देता है ख़ुशी....
भले वो नींद हो, समय हो, या हो हंसी ,
या फिर ...
निस्वार्थ ममता.!!!!!
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maa ke ahsaas ko ek maa hi jee sakti hai.....aur ye aapki kavita se dikh rahi hai.....:)
ReplyDeletegod bless!
और इसी तरह सुबह का सूरज का हो जाता आगाज
ReplyDeleteमाँ की देहलीज़ पर,
और माँ धीरे से मेरा सर तकिये पर रख कर उठ जाया करती थीं,
हम सभी के लिए,
तब क्यूँ नहीं सोचा कभी माँ के लिए,
itna fark to rah hi jata hai , maa maa hoti hai ,puri kaynaat hoti hai
यही होता है हर माँ का स्वरूप्।
ReplyDeleteमाँ की बाहों का घेरा
ReplyDeleteमेरे लिए होता एक ठोस सुरक्षा कवच,
मां का हर स्वरूप ताउम्र स्मरणीय होता है ...।
आज माँ बन जाने के बाद ,
ReplyDeleteमाँ का हम सब के प्रति समर्पित होना समझ में आता है ,
कितनी ख़ुशी मिलती है अपना सर्वस्व अपने बच्चों पर न्योछावर करके,
खुद को अपने बच्चो में जीना किता देता है ख़ुशी....
भले वो नींद हो, समय हो, या हो हंसी ,
या फिर ...
निस्वार्थ ममता.!!!!!
..माँ के एक रूप समर्पित भाव का बहुत ही भावपूर्ण चित्रण किया है आपने ... सच में माँ माँ होती है उसके जैसा दूजा कोई नहीं!
..सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार
आपको नव वर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
maa ka ahsaash shabdon me nahi bandha ja sakta hai, use ye kewal baccha feel kar sakta hai ya kewal teesara koi nahi saadhuvaad neelam ji aapko..itne sundar lekhan ke liye!!
ReplyDeleteनीलू जी!
ReplyDeleteमाँ से लेकर माँ तक का सफर बिल्कुल नॉस्टैल्जिक था... शब्दकोष पलट कर देखें तो माँ से मधुर कोई शब्द नहीं.. तभी तो दुनिया की अनेकों भाषाओं में माँ को माँ ही कहते हैं..
आपके कोमल भाव वंदनीय हैं!!
आदरणीय नीलम जी
ReplyDeleteनमस्कार
मां की महिमा जितनी लिखी जाए, इसे शब्दों में वयां नहीं किया जा सकता , मां एक एहसास है और यह एहसास इतना गहरा है इसके आगे दुनिया की तमाम चीजें फीकी पड़ जाती हैं ...आपने बहुत सूक्षमता से इस एहसास को शब्द दिए हैं ....इस लाजबाब कविता के लिए आपको हार्दिक शुभकामनायें
"और माँ अपनी आँखों की नींद चुपके से मेरी पलकों पर
ReplyDeleteरख कर ममता से भरी नज़रों से निहारा करती
और इसी तरह सुबह का सूरज का हो जाता आगाज
माँ की देहलीज़ पर...."
माँ और मातृत्व इस सृष्टि का आधार हैं...
इनसे ही ये जीवन है...
माँ को समर्पित इस भावपूर्ण रचना के लिए आपको धन्यवाद॥
नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें...
नए साल की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDelete"निस्वार्थ ममता.!!!!!"
ReplyDeleteसपरिवार नव वर्ष की मंगल कामना
वो सुकूं जो मिलता है
ReplyDeleteमाँ कि गोदी मै सर
रख कर सोने मै ,
वो अश्रु जो बहते हैं
माँ के सीने से चिपक
कर रोने मै................
माँ एसी ही होती है दोस्त !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !
नव वर्ष कि शुभकामनायें !
"खुद को अपने बच्चो में जीना किता देता है ख़ुशी....
ReplyDeleteभले वो नींद हो, समय हो, या हो हंसी ,
या फिर ...
निस्वार्थ ममता.!!!!!"
बहुत ही भावमयी रचना
सुन्दर प्रस्तुति
आपका ब्लॉग हेडर लाजवाब लगा
आभार & शुभ कामनाएं
माँ को अपने बच्चे को सीने से लगाने में जो सुख मिलता है वो दुनिया के किसी कोने में नहीं मिलता.
ReplyDeleteआपकी कविता "माँ" बहुत सुन्दर और दिल को छूने वाली है.
very very happy new year to you.
आपकी कविता पढ़कर
ReplyDeleteएक पुराना गाना याद आ गया-
उसको नहीं देखा हमने मगर,
ऐ मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी।
मां बनने और मां को समर्पित यह पोस्ट एक सुंदर अहसास से सजी है। आभार इस प्रस्तुति के लिए। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteकविता - इन दिनों ..
ब्लाग जगत में एक निर्मम आलोचक और समीक्षक के तौर जाना जाता है ये अनवर जमाल ; लेकिन...
ReplyDeleteमाँ कैसी भी हो सुंदर लगती है ।
माँ के बारे में भी लिखा हुआ हर जुमला अच्छा लगता है।
...और आपने तो सचमुच अच्छा लिखा है । इतना अच्छा कि जी चाहता है इसे अपने ब्लाग में संजो लूं ,
अगर आप इजाज़त दें तो ...
यह सच है कि आज इंसान दुखी परेशान और आतंकित है लेकिन उसे दुख देने वाला भी कोई और नहीं है बल्कि खुद इंसान ही है ।
आज इंसान दूसरों के हिस्से की खुशियां भी महज अपने लिए समेट लेना चाहता है । यही छीना झपटी सारे फ़साद की जड़ है ।
आप ने जो बात कही है उसे अगर ढंग से जान लिया जाए तो भारत के विभिन्न समुदायों का विरोधाभास भी मिट सकता है ।
देखिए
प्यारी माँ
माँ....!! माँ....!!
ReplyDeleteदिल की गहराईयों से निकला हुआ एक दिव्य शब्द.
behad khoobsurat kavita.
Heart touching .
ReplyDeleteदिल है ख़ुश्बू है रौशनी है माँ
ReplyDeleteअपने बच्चों की जिंदगी है माँ
इसकी क़ीमत वही बताएगा
दोस्तो ! जिसकी मर गई है माँ
सारे बच्चों से माँ नहीं पलती
सारे बच्चों को पालती है माँ
ख़ाक जन्नत है इसके क़दमों की
सोच फिर कितनी क़ीमती है मां
बहुत सुन्दर भावपूर्ण एवं दिल से लिखी रचना...... सीधे दिल तक पहुची ..मुझे भी माँ की याद आ गयी ....
ReplyDeleteया देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
ReplyDeleteनमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Aap sabhi ko Nav vrsh ki hardik shubhkaamnayen.
ReplyDelete@-Mukesh ji.Rakesh ji,Minkshi ji.@Rashmi ji,
@Vandana ji,Creative ji,
@kavita ji,Kunvar ji. Rajesh ji.
@sada ji,Mridula ji.@ Anand ji.
@Bihaari ji,Manjula ji,@keval ji,Rajeev ji,@ Dr. Anwar ji.@Rajneesh ji.@Jyoti ji,Aap sabhi ki tahe dil se abhaari hoon..asha karti hoon aaage bhi aap mera utsaah badhate rahenge.
Dr. Anwar ji..mera sobhagya ki aap meri Rachna ko apne blog par sthaan dena chaahte hain.
ReplyDeletetahe dil se aapki shukr guzaar hoon
http://neelamkashaas.blogspot.com/2010/10/blog-post.html ...pl post ur comments!!
Rajey sha ji bahut bahut abhaar.
ReplyDeleteमाँ के स्वरुप का बहुत ही हृदयस्पर्शी चित्रण...... बेहद प्यारी और उम्दा रचना.....
ReplyDeleteमां के एहसास को जीती हुई सुन्दर रचना
ReplyDeleteहर एक शब्द उसी महिमा और बोध में दिपदिपाता हुआ.
ReplyDeleteमाँ की महानता सजीव चित्रण ।
ReplyDeleteSach hai jab insaan apne experience se seekhta hai tab samajh aata hai ... lajawaab rachna hai ...
ReplyDeleteमाँ की निस्वार्थ ममता को हमारा शत शत प्रणाम . सुन्दर भावमयी कविता .
ReplyDeleteमाँ के बारे में जितना कहें जो कहें कम है...माँ, माँ ही होती है...
ReplyDeleteनीरज
मातृत्व का यह एहसास बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमाँ तो बस माँ होती है
माँ की बाहों का घेरा
ReplyDeleteमेरे लिए होता एक ठोस सुरक्षा कवच,
फिर डर को भूल उसकी गोद मैं आराम से सो जाया करती,
तब इस बात से होती अनजान की वो भी तो सोएगी....
और माँ अपनी आँखों की नींद चुपके से मेरी पलकों पर
रख कर ममता से भरी नज़रों से निहारा करती...
भावविभोर कर देने वाली रचना है.
नववर्ष की शुभकामनाएं.
माँ होती ही ऐसी है ! आपने बच्चों के लिये जो अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है, उसे अपने कलेजे से लगा कर जिसे संसार की बड़ी से बड़ी संपदा भी नगण्य लगती है वही माँ होती है ! एक दिल को छू लेने वाली प्रभावशाली रचना ! अति सुंदर !
ReplyDeleteमां शब्द ही काफी है....कोई और मधुर शब्द नहीं.....
ReplyDeleteआपने अच्छी कोशिश की है....
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteमाँ के अहसासोँ को बड़ी ही खूबसूरती से कलमबद्ध किया है नीलम जी आपने ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ।
samvednaon ki sundar abhivyakti hai. bhaii
ReplyDelete@-Monika ji, @sangeeta ji,@Sanjay ji,@Arunesh ji, @ Digambar ji,@Aashish ji, @ NEeraj ji,@M.Verma ji,@Shahid ji, @ Sadhna ji, @ boletobindas ji.@Abhishekh ji, @Ashok ji , @ Ramesh ji .
ReplyDeleteAap sabhi ka Tahe dil se shukriya. aap sabhi ki bahut abhaari hoon.
Neelam.
बेहतरीन अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteBahut hi sundar Rachna Neelu jee..
ReplyDeleteMaa..or Maa ki mamta.
dono hi niswarth hote hain..
bina kisi chal, kapat, or swarth ke
Maa apni mamta har bachhe par lutati hai.
Bhagwan apne har bachhe ke paas nahi aa sakte isliye unhone Maa Banayi taaki kisi ko bhi bhagwan ki kami mahsus na ho...
bahut achhi abhivyakti hai apki...
Excellent Neelu..............
ReplyDeleteसबसे सुरक्षित स्थान मां का आंचल....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
क्या ग़ज़ब लिखा है ... माँ की हस्ती ही ऐसी है ... जितना लिखो कम है ...
ReplyDeleteIsh Vani ji ne mail se ye comment bheja hai..bhut bahut dhanyvaad ish vani ji.
ReplyDeleteji jarur shamil houngi..ye to mera sobhgya hoga .
आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा और आपको अपने ब्लाग को फ़ोलो करते देखकर और
भी अच्छा लगा लेकिन आपका दर्जा कुछ ख़ास है मेरी नज़र में ।
मैं आपको इन्वाइट करूंगा कि आप एक लेखिका के तौर पर मेरे अति प्रिय ब्लाग
'प्यारी माँ' में हमारे साथ शामिल हो जाएँ जैसे कि अंजना जी शामिल हैं ।
आप मुझे अपना ईमेल भेज दीजिए ताकि मैं आपको औपचारिक रूप से इन्वाइट कर सकूं ।
मैं महिलाओं के ब्लाग पर कम जाता हूं लेकिन आपके ब्लाग में आकर्षण है ।
धन्यवाद
Bhupendra ji ne mail se comment bhej hai..
ReplyDeletebahut bahut abhaar ji.
kya baat hai bahut aacha kavita hai Neelam ji ..........
Bodhi satvaa ji..bahut bahut abhaar aapkaa comment mail se mila use yahan post kar rahi hoon.
ReplyDeleteदेख लिया जी
अच्छा है
इसे हम संकलित कर रहे हैं
आप को नव वर्ष मंगल हो
बोधि
Kunwar ji shukriya jarur dekhenge.
ReplyDeleteदेखता हूँ.
कृपया मेरा ब्लॉग देखें.
कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग: http://kunwarkusumesh.blogspot.com
Ish Vani ji baahut bahut shukriyaa.
ReplyDeletejarur join karungi..balki abhi join karti hoon.
आपने अनुरोध किया है तो जरूर आएँगे आपके ब्लाग पर तब तक आप भी देख लीजिए हमारी
प्यारी मां
देखिए
http://pyarimaan.blogspot.com
- Show quoted text -
--
1- http://vedquran.blogspot.com/2010/07/way-for-mankind-anwer-jamal.html
ईश्वर एक है और उसने मानवता को सदा एक ही धर्म की शिक्षा दी है। उस धर्म
की शिक्षा उसने अपनी वाणी वेद के माध्यम से दी और महर्षि मनु को आदर्श
बनाया तो इस धर्म को वैदिक धर्म या मनु के धर्म के नाम से जाना गया और जब
बहुत से लोगों ने वेद को छिपा दिया और इसके अर्थों को दुर्बोध बना दिया
तो उसी परमेश्वर ने जगत के अंत में पवित्र कुरआन के माध्यम से धर्म को
फिर से सुलभ और सुबोध बना दिया है। ईश्वर अपनी वाणी कुरआन में स्वयं कहता
है-
इन्नहु लफ़ी ज़ुबुरिल्-अव्वलीन ।
अर्थात बेशक यह कुरआन आदिग्रंथों में है।
इस ज़मीन पर ‘वेद‘ सबसे पुराने धार्मिक ग्रंथ हैं।
वेद सार ब्रह्म सूत्र है-
एकम् ब्रह्म द्वितीयो नास्ति , नेह , ना , नास्ति किंचन ।
अर्थात ब्रह्म एक है दूसरा नहीं है, नहीं है, नहीं है, किंचित भी नहीं है।
2- http://vedquran.blogspot.com/2010/05/unbeatable-india.html
Ankur Kumr jha ne kaha...
ReplyDeletethanking you..
aur iss se pyara comment mere liye ya kisi maa ke liye koi nahi ho sakta .
God bless u Ankur .
"Maa" बाहों का घेरा, एक ठोस सुरक्षा कवच, "मां" पवित्र प्रभावशाली सुन्दर प्रस्तुतिi
ReplyDeleteधन्यवाद
आज पहली बार मैंने आप की कई रचनाएं पढ़ीं
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखती हैं आप
माँ की बाहों का घेरा
मेरे लिए होता एक ठोस सुरक्षा कवच,
सच है ऐसा सुरक्षा कवच दूसरा कोई नहीं होता
हृदयस्पर्शी रचना !
माँ ममत्व की सतत प्रक्रिया है जिसे आपने सुंदर शब्दों में अभिव्यक्ति दी है. आभार.
ReplyDeletemarmik abhivyakti mamta ki tasveer
ReplyDeletehaha bahut badhiya...:)
ReplyDeletebahut sundar rachana hai aap ki Neelu ji
ReplyDelete