कहने को दो ही पंक्तियों में आपने बात कह दी… लेकिन बहुत गहरे और व्यापक अर्थ हैं … जाने क्यूं ख़लल डाल जाती हैं उसकी यादें मेरी ज़िन्दगी में , मैंने तो उसे यूं कभी ख़्वाबों में भी परेशां किया ना था !! यादों का काम ही ज़िंदगी में खलल डालना होता है … लेकिन यादें जीवन का सहारा भी होतीहैं…
सुन्दर भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteजोरदार
ReplyDeleteS.N. Shukla ji shukriya.
ReplyDelete"जाटदेवता" संदीप पवाँर ji.. shukriya..:)
ReplyDeletebahut sunder...
ReplyDeleteVivek ji shukriya.
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ReplyDelete♥
आदरणीया नीलम जी
सस्नेह अभिवादन !
कहने को दो ही पंक्तियों में आपने बात कह दी… लेकिन बहुत गहरे और व्यापक अर्थ हैं …
जाने क्यूं ख़लल डाल जाती हैं उसकी यादें मेरी ज़िन्दगी में ,
मैंने तो उसे यूं कभी ख़्वाबों में भी परेशां किया ना था !!
यादों का काम ही ज़िंदगी में खलल डालना होता है …
लेकिन यादें जीवन का सहारा भी होतीहैं…
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
- राजेन्द्र स्वर्णकार - ji bahut bahut dhanyvaad.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई.
ReplyDeleteS.N Shukla ji dhanyvaad.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ...!