क्यूँ ......
आज कल कुछ सूझता नहीं मुझे,
क्या कहूँ मैं तुमसे?
तुम ही कुछ कहो ना...
जब से तुमने मुझे अपना मान लिया है ,
ना जाने तब से शब्द कहाँ खो गए हैं,
बस अब धड़कने और मेरी साँसे बोलती हैं ,
ना जाने ,क्यूँ तुम उन्हें नहीं सुनते,
क्यूँ अपनी धडकनों से मेरी धडकनों की बात नहीं करते,
ख़ामोश से मेरे लब ,
शब्दों का बोझ उठा नहीं पा रहे थे,
तब मेरी धड़कने सब कह रहीं थीं,
तब भी तुमने कुछ नहीं सुना था,
है ना!!!!!
बस एक टक निहारते रहते हो मुझे ,
चूमते रहते हो मेरी बंद पलकों को,
और उस वक़्त...
मैं मर कर भी जी उठती हूँ ,
तुम्हारी बाहों में,
वादा करो.......
तुम मुझे यूँही जिंदा रखोगे ,
अपने ख्यालों में,
जैसे मैंने आज तक तुम्हे जिंदा रखा है अपनी रूह में ,
पल पल मरने के बाद भी ,
जी रही हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए.
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ख़ामोश से मेरे लब ,
ReplyDeleteशब्दों का बोझ उठा नहीं पा रहे थे,
तब मेरी धड़कने सब कह रहीं थीं,
तब भी तुमने कुछ नहीं सुना था,
है ना!!!!!
वाह !
बहुत सुन्दर अहसास!
ReplyDeleteehsasoka marmik chitran...
ReplyDeletesunder abhivykti.....
बहुत सुन्दर अहसास
ReplyDeleteबढ़िया... अच्छा लगा..
ReplyDeleteवादा करो.......
ReplyDeleteतुम मुझे यूँही जिंदा रखोगे ,
अपने ख्यालों में,
जैसे मैंने आज तक तुम्हे जिंदा रखा है अपनी रूह में ,
पल पल मरने के बाद भी ,
जी रही हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए.
वाह्……………क्या अहसासों की माला बुनी है……………………।बहुत सुन्दर्।
Vivek jee.
ReplyDeletenilesh jee
apnatva jee,
mehfooz jee,
prateek jee,
vandana jee..aap sabhi ka dil se shukriya.
sukriya karen ya na.........lekin ye sachchai hai, aapki kavita bolti hai......:)
ReplyDeleteaapke ahsaas ko salam!!
"pal pal marne ke baad bhi j
jee rahi hoon, tumhare liye........"
वादा करो.......
ReplyDeleteतुम मुझे यूँही जिंदा रखोगे ,
अपने ख्यालों में,
जैसे मैंने आज तक तुम्हे जिंदा रखा है अपनी रूह में ,
पल पल मरने के बाद भी ,
जी रही हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए.
शायद इसी को प्यार कहते हैं ... गहरा लगाव कहते हैं ...
आशाओं की दुनिया का अहसास...कोमल भावनाओं को सुकोमल शब्दों में पिरोती हुई सुंदर पंक्तियां।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ये प्रेम के ही झौंके हैं जो रूह को छू जाते हैं...सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर आ कर बहुत अच्छा लगा...जितनी खूबसूरत पेंटिंग आपने यहाँ सजा रखी है उतनी ही सुन्दर ज़ज्बात से भरी रचना आपने पेश की है...बेहतरीन रचना है...रूमानियत से लबरेज़...मेरी बधाई कबूल करें...
ReplyDeleteनीरज
वादा करो.......
ReplyDeleteतुम मुझे यूँही जिंदा रखोगे ,
अपने ख्यालों में,
जैसे मैंने आज तक तुम्हे जिंदा रखा है अपनी रूह में ,
बहुत खूबसूरत एहसास ...रुमानियत भरे ...
ati sundar
ReplyDeleteवादा करो.......
ReplyDeleteतुम मुझे यूँही जिंदा रखोगे ,
अपने ख्यालों में,
बहुत सुन्दर प्रेम रस मे सराबोर रचना। शुभकामनायें।
अहसासो से सजी आप की यह कविता बहुत सुंदर लगी, धन्यवाद
ReplyDeleteजीना
ReplyDeleteजिसकी एक एक चढ़ाई
सीढ़ी की लंबाई का
कराती है अहसास
वही है इस कविता
के आसपास।
प्रेम की वेदना से तिक्त अनछुये भाव।
ReplyDeleteबस एक टक निहारते रहते हो मुझे ,
ReplyDeleteचूमते रहते हो मेरी बंद पलकों को,
और उस वक़्त...
मैं मर कर भी जी उठती हूँ ,
तुम्हारी बाहों में,
vah.....kamaal ka ahsaas
www.amarjeetkaunke.blogspot.com
जैसे मैंने आज तक तुम्हे जिंदा रखा है अपनी रूह में ,
ReplyDeleteपल पल मरने के बाद भी ,
जी रही हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए.
-वाह! सुन्दर अहसासों की बानगी!!
आप बहुत अच्छा लिख रहीं हैं आपके ब्लॉग पर एहसासों की गुनगुनाहट है आपने जो पेंटिंग लगायी है वह और भी खूबसूरत है .
ReplyDeleteअसल में तो पल पल किसी पर मर कर ही जिया जाना ही असली जीना है।
ReplyDelete.कोमल भावनाओं को सुकोमल शब्दों में पिरोती हुई सुंदर पंक्तियां।
ReplyDeleteकमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगी
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