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Sunday, October 2, 2016

कहानियाँ

ओह !!!
तो क्या मैं सिर्फ तुम्हारी कहानी का हिस्सा भर हूँ
मुझे तो लगा था
मैं ही तुम्हारी कहानी का हीरो हूँ
मगर मैं तुम्हारे लिये मुडे हुए पन्ने के सिवा कुछ भी नहीं
हाँ
पीला तो पडने लगा हूँ  अब
क्योंकि
तुम्हारी नज़र में मैं सिर्फ एक किरदार हूँ
और अब तुम मुझे इत्तेफाक भी तो नहीं मानती हो ना
मगर हमारा मिलना तो इत्तेफाक ही था
इत्तेफाक उग जाया करते हैं
अक्सर तन्हाइयों के जंगल में
और जब तन्हाई को हकीकत की जमीं मिलती है ना
तब हकीकत सिर्फ साजिशें ही रचती है
और
कहानियाँ ...
कहानियाँ एक ना एक दिन तो खत्म
होती ही हैं

नीलम 🙏

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