Followers

Total Pageviews

25274

Wednesday, October 5, 2016

आदत

तुम्हारी कहानी
के पहले शब्द से आखिरी शब्द तक
होती है सिर्फ तुम्हारी कविता
जो करती है तुम्हारी ही बात
और फ़िर पूर्णविराम के बाद भी कोसों दूर तक
दिखता हूँ तुम्हे सिर्फ मैं
और मुझे दिखती हो तुम
मेरी ज़िंदगी के सुबह से शाम और शाम से रात तक
और महसूस करता हूँ
सिर्फ तुम्हे और तुम्हारी ज़रूरत
मेरी धड़कनों को धड़कने के लिये
आदत खुद को लिखने को नहीं
आदत तुम्हे जीने को कहते हैं
समझीं तुम !!!

*नीलम*

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ... कविता में एक लय है जो अंत तक बाँधी रखी रहती है

    ReplyDelete