जब मैं रूठ जाती हूँ ,
और तब तुम मुझे अपनी जान बताते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
जब मैं सोती हूँ तुम्हारे सीने पर सर रख कर ,
तुम पलकों पर मेरी फिर वही खवाब सजाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
जब तुम मेरे गले मैं बाहे डाल देते हो,और मैं खो जाती हूँ
तब तुम मेरी आँखों से उतर कर मेरे दिल मैं समां जाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
जब तुम मेरी चोटी बनाते हो,
और होंठों से मेरी गर्दन को सहलाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
रोज मुझे चाँद ,
और खुद को मेरा महबूब बतलाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
जब तुम अपने हाथों से बिंदिया ,
और मेरी मांग सजाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
कतरा कतरा बिखर जाती हूँ रात भर तुम्हारी बाहों मे ,
फिर भी तुम मुझे सुबह तक समेट लाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
रात भर मुझ पर बेशुमार प्यार लुटाते हो,
सुबह होते ही खुद को मासूम और मुझको नीलम बताते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.
"main to marr hi jaati hoon......." - in shabdo ke andar chhipa wastavik pyar har koi nahi samajh payega neelima jee!!........mujhe to bas itna khna hai, aapke pass shabdo ki kami nahi, aur na hi soch ki...........bas jarurat hai usse ukerne ki...........aur aapko aasman chhune ki............keep it up!!
ReplyDeleteसुन्दर शब्द-चयन और भावों से ओत-प्रोत बहुत सुन्दर कविता है.
ReplyDeleteमहावीर शर्मा
sach me ek sapane or ahasas ko sabdon me piroya he , really to good
ReplyDeletebahut accha neelu ji
ReplyDeleteBahut hi kamal ki kalam hai.................Kya motia jaise alfaz likhti hai.........congrats.
ReplyDeleteJolly Uncle
www.jollyuncle.blogspot.com
रात भर मुझ पर बेशुमार प्यार लुटाते हो,
ReplyDeleteसुबह होते ही खुद को मासूम और मुझको नीलम बताते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.
Bahut khub Neelam ji,
shabdo ko bakhubi piroyaa hai kalam ke dhaage se
रात भर मुझ पर बेशुमार प्यार लुटाते हो,
ReplyDeleteसुबह होते ही खुद को मासूम और मुझको नीलम बताते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.
Bahut khub Neelam ji,
shabdo ko bakhubi piroyaa hai kalam ke dhaage se
रात भर मुझ पर बेशुमार प्यार लुटाते हो,
ReplyDeleteसुबह होते ही खुद को मासूम और मुझको नीलम बताते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.
Bahut khub Neelam ji,
shabdo ko bakhubi piroyaa hai kalam ke dhaage se
really jab dil se kaho koi baat to hota hai ehsaas v good
ReplyDeletelovely
ReplyDeleteTarref us khuda ki jisney tumhey banaya...Masha Allah...bahut hi badhiya blog hai
ReplyDeleteitna sundar blog,aur itne achhi kavitaen,tussi kamal ho,tuhadi eh lines ''katra katra bikhar jati hun raat bhar tumhari baahon mein,phir bhi
ReplyDeletetum mujhe subah tak samet laate ho' wah wah !!
bahut sundar ....maza aa gaya....
Daman
Mukesh jee aap sabhi yunhi meri housla afzaai karte rahiye bas. aur main aur achha likhne ki koshish karti rahungi.
ReplyDeleteMahveer jee..bahut bahut shukriya.
ReplyDeleteBharat jee..bahut bahut shukriya.
ReplyDeleteJolly jee bahut bahut dhanyvaad jee.
ReplyDeleteParvinder jee.bahut bahut shukriya jee.
ReplyDeleteTarun jee..shukriya.
ReplyDeleteHindi news..Ashish jee..bahut shukriya jee.
ReplyDeletePapa jee bahut bahut shukriya . bas apna ashirvaad banaye rakhna.
ReplyDeleteजब तुम मेरे गले मैं बाहे डाल देते हो,और मैं खो जाती हूँ
ReplyDeleteतब तुम मेरी आँखों से उतर कर मेरे दिल मैं समां जाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ ,
तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
जब तुम मेरी चोटी बनाते हो,
और होंठों से मेरी गर्दन को सहलाते हो ,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
ufffff... kitni sundarta se apne ye bhavnaon ko vyakt kiya hai.. mere paas shabd hi nahi hain iske liye.. kuchh aur bolna to suraj ko deepak dikhane wali baat hogi.. :)
Neelu....Bahut Sunder Rachna...Rizvi
ReplyDeleteप्यार में मर कर जिन्दा रहना ही तो सच्चे प्यार का अहसास है ,बहुत ही सुंदर भावो से युक्त रचना है पढ़ कर हम भी कुछ जी लिए ....
ReplyDeleteneelam jee
ReplyDeleteAdbhut !!!
कतरा कतरा बिखर जाती हूँ रात भर तुम्हारी बाहों मे ,
ReplyDeleteफिर भी तुम मुझे सुबह तक समेट लाते हो,
मैं तो मर ही जाती हूँ,
फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,
बहुत सुंदर और गहरी अनुभूति है
aap jitnee baar aise kisee pe marte ho utnee hee baar aur purjor jindgee paate ho
ReplyDeletepoem bahut badhiya hai
@ D..shukriya ji, @ Rizvi sahab ..shukriya, @Parvesh ..thanx ji, @ Gurmeet ji shukriya, @Navneet ji..Shukriya. @..H.P.Sharma ji shukriya.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है नीलम जी... उम्दा
ReplyDeleteNeelam ji,
ReplyDeletemujhe to apna pahala pyar yaad aa gaya ye kavita pad kar............. very heart touching lines,
fir tum mujhe kaise jinda paate ho.....wah...kya khayal hai....very nice.
ReplyDeleteChetan Bhatt.
nice...........
ReplyDeleteAap rooh ko sukoon dene wali shairi karti haiN...mubarakbaad kabool kareiN
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