तुम खवाब बनकर आयो तो नींद आ जाये,
आगोश मैं अपनी सुलाओ तो नींद आ जाये,
चूम लो अपने होठों से मेरी खामोश आँखों को ,
मेरी पलकों पर वही खवाब सजाओ तो नींद आ जाये,
तुम छु लो फिर गुज़रे ज़माने की तरह,
अहसास वही फिर से जगाओ तो नींद आ जाये.
मैं शमा बन तनहा जलती हूँ रोज रातों मैं,
तुम परवाना बन मुझसे लिपट जायो तो नींद आ जाये.
खून बहता है पानी बन रगों मैं मेरी,
तुम नस नस मैं समां जायो तो नींद आ जाये,
खामोश हूँ मैं किसी गुज़रे फ़साने की तरह,
मुझे ग़ज़ल की तरह ,तुम गुनगुनाओ तो नींद आ जाये.
मासूम तो हूँ मैं भी ,मगर नीलम की तरह ,
तुम भी मेरे लिए बदल जायो तो नींद आ जाये.
आज आग मेरी नस नस मैं लगाओ तो नींद आ जाये,
आगोश मैं अपनी सुलाओ तो नींद आ जाये.
मासूम तो हूँ मैं भी, मगर नीलम की तरह,
ReplyDeleteतुम भी मेरे लिए बदल जायो तो नींद आ जाये.
बेमिशाल
Rakesh jee shukriya.
ReplyDeletekya baat hai .....lajawab
ReplyDeleteआज आग मेरी नस नस मैं लगाओ तो नींद आ जाये,
ReplyDeleteआगोश मैं अपनी सुलाओ तो नींद आ जाये.