देह के परे भी होती है
इक देह . . .
कभी छूना उसे
तब नाप लोगे
सही मायने में
देह से रूह तक की दूरी
और जान जाओगे
मुझमें अपने होने का अहसास
और तब तुम में मैं
और मुझमें तुम
समा जाओगे
देह का मिलन फ़िर रूह के रास्ते होकर
रूह तक चला जायेगा
और तुम्हारा मुझे सिर्फ देह समझना
ये भ्रम भी टूट जायेगा
- - - नीलम - --
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