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Saturday, September 19, 2015

जो भी है बस यही इक पल है . . . .

उम्र भले ही कर गई हो
पचास पार . . .
मगर मैं आज भी जीता हूँ तुम्हे
वही अल्हड़ जवानी के जवां शक्स सा
उम्र में वैसे भी रखा क्या है
कौन जाने
कब निकल जायेंगे प्राण
बिना किसी से कुछ कहे
बिना सुने
मौका भी कहाँ देती है जिंदगी
बार बार जिंदगी जीने का
बस . . . .
इसिलए तो मैं
जीता हूँ हर पल
हर लम्हे को तुम सा
जैसे तुम
फ़िर मिलो ना मिलो
वैसे ही जीता हूँ जिंदगी भी
कल हो ना हो . . .
जो भी है बस यही इक पल है - - - - नीलम - - -

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