जटा में गंग धार है
गले में सर्प हार है
बज रहा मृदंग है
शिव नीलकंठ है
भस्म से सजा कपाल है
शरीर पर सिंह छाल है
हिमालय इनका वास है
माँ पार्वती भी साथ हैं
पुत्र कार्तिकेय - गणेश हैं
भक्त इनके अनेक हैं
कर रहे जलाभिषेक हैं
कावड कोई सजा रहा
कोई ढूध से नहला रहा
और सावन बरस कर रहा अभिषेक है
शिव शक्ति बस एक है - - -
- - - - नीलम - - - -
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