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Wednesday, March 3, 2010

तुम खवाब बनकर आयो तो नींद आ जाये,
आगोश मैं अपनी सुलाओ तो नींद आ जाये,

चूम लो अपने होठों से मेरी खामोश आँखों को ,
मेरी पलकों पर वही खवाब सजाओ तो नींद आ जाये,

तुम छु लो फिर गुज़रे ज़माने की तरह,
अहसास वही फिर से जगाओ तो नींद आ जाये.

मैं शमा बन तनहा जलती हूँ रोज रातों मैं,
तुम परवाना बन मुझसे लिपट जायो तो नींद आ जाये.

खून बहता है पानी बन रगों मैं मेरी,
तुम नस नस मैं समां जायो तो नींद आ जाये,

खामोश हूँ मैं किसी गुज़रे फ़साने की तरह,
मुझे ग़ज़ल की तरह ,तुम गुनगुनाओ तो नींद आ जाये.

मासूम तो हूँ मैं भी ,मगर नीलम की तरह ,
तुम भी मेरे लिए बदल जायो तो नींद आ जाये.

आज आग मेरी नस नस मैं लगाओ तो नींद आ जाये,
आगोश मैं अपनी सुलाओ तो नींद आ जाये.

4 comments:

  1. मासूम तो हूँ मैं भी, मगर नीलम की तरह,
    तुम भी मेरे लिए बदल जायो तो नींद आ जाये.
    बेमिशाल

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  2. आज आग मेरी नस नस मैं लगाओ तो नींद आ जाये,
    आगोश मैं अपनी सुलाओ तो नींद आ जाये.

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