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Wednesday, February 12, 2014

टैग ...

टैग ..या ...साझा ..
मालूम है क्यूँ टैग करते हैं हम ..!!!!
मैंने कई मित्रों को अपने स्टेटस पर ये लिखने को मजबूर पाया की .. कृपया मुझे टैग ना करें अन्यथा टेग करने वाले को ब्लाक करना पड़ेगा...
अरे भाई क्यूँ..?
टैग करना कोई गुनाह है क्या..?
ये तो फेसबूक के द्वारा प्रदत एक सुविधा मात्र है...
टैग करने के भी कई कारण होते हैं ..जैसे ..
जो हम लिखते हैं ,सोचते हैं , महसूस करते हैं, उसे अपने सभी देखे ,अनदेखे, सुने ,अनसुने मित्रों से साझा करना चाहते हैं, जानना चाहते हैं की जो हम सोच रहे हैं , लिख रहे हैं , क्या वो आपको भी सही लगता है.. क्या आपको भी वो महसूस होता है जो मुझे महसूस होता है...और बस इसी जिज्ञासा , और मन में उमड़ते विचारों को आप सबसे साझा करती हूँ...
जानती हूँ कई मित्रों को पसंद नहीं की कोई उनके साथ अपने विचार साझा करे... ऐसे मैं उन्हें पूर्ण आजादी है के वो उस टैग को हटा दे, या उसे अनदेखा कर दें ..
मुझे नहीं पता बाकी लोग टैग क्यूँ करते हैं.. मेरे टैग करने की वजह ये है ... !!!
मैं टैग उन्हें करती हूँ जिन्हें मैं अपने से ज्यादा अनुभवी मानती हूँ , कह सकते हैं उनके कमेंट्स मेरे लिए लेखन के हौसले को बढाने का काम करते हैं.
ऐसा नहीं है की मैं टैग सिर्फ तारीफ पाने के लिए करती हूँ.. अगर किसी को मेरी लिखी कोई भी रचना या शायरी में कोई त्रुटी नज़र आये तो वो अपने विचार खुल कर लिख सकते हैं.. तभी तो मैं बेहतर लिखना सीख पायुंगी ना..
जब भी कुछ लिखती हूँ तो मन में एक बच्चे की तरह जिज्ञासा जागृत होती है की जो मैंने लिखा क्या वो सही है.. और बस झट से आप सभी को टैग कर देती हूँ..
आशा करती हूँ आप मेरे टैग को सराहेंगे और अपने विचार भी जरुर मुझसे साझा करेंगे...

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