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Monday, February 8, 2010

तुम भले मुझको जलाओ शमा की मानिंद,
तुम जलो परवाना बन मुझे अच्छा नहीं लगता,

सफ़र मैं बैठी हूँ इंतज़ार मैं तेरे,
तुम अनजान बन नजदीक से गुज़र जायो अच्छा नहीं लगता ,

अच्छा तो लगता है तेरा अहसास भी,
मगर तू नहीं है पास ये मुझे अच्छा नहीं लगता,

लोग हंसते हैं मेरे जख्मों पर,
तुम भी मुस्कुराओ मुझे अच्छा नहीं लगता,

जाम पियो भले मेरी आँखों से तुम सुबह शाम,
शराबी कहलाओ सरे आम मुझे अच्छा नहीं लगता ,

तुम रहते हो ख्यालों में हार घडी,
खवाबों में ना आयो ये अच्छा नहीं लगता,

इतने आ जयो करीब ,कोई दुरी न रहे,
प्यार में रहे होश -ओ-हवास ये अच्छा नहीं लगता,

तुम पूछते हो कहानी मेरी,
फ़साना अपना न सुनाओ,ये अच्छा नहीं लगता,

कट तो जाता है वक़्त लेकिन,
लम्हा लम्हा मौत आये मुझे ,अच्छा नहीं लगता,

मेरे दर्द भरे नगमे गुनगुनाओ भले,
उनपर तुम करो वाह वाह ,मुझे अच्छा नहीं लगता.

2 comments:

  1. "achchha nahi lagta hai"...........lekin phir bhi wah wah karne ka mann kahta hai...........ab kya karen, rok bhi nahi sakte!!

    Keep it up Neelima jee!!
    My bestest of best wishes for u........:)

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  2. लोग हंसते हैं मेरे जख्मों पर,
    तुम भी मुस्कुराओ मुझे अच्छा नहीं लगता| ... बहुत सुन्दर

    सादर

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