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Monday, April 26, 2010

तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो!


जब मै रूठ जाती हूँ
और तब तुम मुझे अपनी जान बताते हो
में तो मर ही जाती हूँ
तुम मुझे कैसे जिन्दा पाते हो!

जब मैं सोती हूँ तुम्हारे सीने पर सर रख कर
तुम पलकों पर मेरी वही खबाब सजाते हो
मैं तो मर ही जाती हूँ
तुम मुझे कैसे जिन्दा पाते हो!

जब तुम मेरे गले मै बाहें डालते हो और मैं खो जाती हूँ
तब तुम मेरे आँखों मै उतर कर दिल मै समां जाते हो
मैं तो मर ही जाती हूँ
तुम मुझे कैसे जिन्दा पाते हो !

जब तुम मेरी चोटी बनाते हो
और ओंठो से मरे गर्दन सहलाते हो
मैं तो मर ही जाती हूँ
तुम मुझे कैसे जिन्दा पाते हो!

रोज मुझे चाँद
और खुद  को मेरा महबूब बतलाते हो
मैं तो मर ही जाती हूँ
तुम मुझे कैसे जिन्दा पाते हो!

जब तुम अपने हाथो से बिंदिया,
और मेरी मांग सजाते हो
मैं तो मर ही जाती हूँ
तुम मुझे कैसे जिन्दा पाते हो !

कतरा कतरा बिखर जाती हूँ रात भर तेरी बाँहों मै,
फिर भी तुम मुझे सुबह तक समेट लाते हो
मैं तो मर ही जाती हूँ
तुम मुझे कैसे जिन्दा पाते हो......!!






15 comments:

  1. aapkeee ye kavita itna dil ke kareeb hai ki lagta hai kabhi meri preysi ne mujhe kaha ho.......:)

    dil ke bahut karib rachna..........!!

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  2. मरना ही तो असली जीना है। बस इस जीने पर चढ़ने से डर ही तो लगता है।
    हिन्‍दी टिप्‍पणी के मार्ग में अंग्रेजी के वर्ड वेरीफिकेशन रूपी बाधा को डेश बोर्ड की सैटिंग में जाकर कमेंट्स में जाकर वर्ड वेरीफिकेशन अथवा शब्‍द पुष्टिकरण डिसेबल या निष्क्रिय करें।

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  3. वाह वाह - बहुत खूब

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  4. तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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  5. Avinash jee ,shukriya.
    jee main theek karne ki ksoshish karti hoon abbhi main jayada kuch jaanti nahi hoon blog ki setting ke baare main.

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  6. Sanjay jee..tahe dil se shukr guzaar hain hum.

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  7. प्रथमतः आदरणीय नीलम जी को मेरा नमस्कार ! बहुत ही सशक्त, उम्दा और भावपूर्ण बिम्ब-प्रतिबिम्बों के साथ सुदर प्राणयाभिव्यक्ति के लिए आभार !

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  8. ye kavita aapki bahut gahri hai
    subah se 3 baar padh chuki hun

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  9. lovely poem n very romantic...........hats off to u

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  10. Bahut khoob... great...you have so freshness in your poetry...!!

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  11. Narendra jee Namskaar ..main tahe dil se aapki shukra guzaar hoon.:)

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  12. Shraddha jee..bahut bahut shukriya..aap khud behadd umdaa likhti hain ye to aapka baddapan hai jo aap meri kavita ki itni tareef kar rahi hain.:)

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  13. Chaaru sis...thanx lot.
    May god bless u.

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