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Friday, February 4, 2011

तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.



जब मैं रूठ जाती हूँ ,


और तब तुम मुझे अपनी जान बताते हो ,

मैं तो मर ही जाती हूँ ,

तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब मैं सोती हूँ तुम्हारे सीने पर सर रख कर ,

तुम पलकों पर मेरी फिर वही खवाब सजाते हो ,

मैं तो मर ही जाती हूँ ,

तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,


जब तुम मेरे गले मैं बाहे डाल देते हो,और मैं खो जाती हूँ

तब तुम मेरी आँखों से उतर कर मेरे दिल मैं समां जाते हो ,

मैं तो मर ही जाती हूँ ,

तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,



जब तुम मेरी चोटी बनाते हो,

और होंठों से मेरी गर्दन को सहलाते हो ,

मैं तो मर ही जाती हूँ,

फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,


रोज मुझे चाँद ,

और खुद को मेरा महबूब बतलाते हो,

मैं तो मर ही जाती हूँ ,

फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

जब तुम अपने हाथों से बिंदिया ,

और मेरी मांग सजाते हो,

मैं तो मर ही जाती हूँ,

फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,

कतरा कतरा बिखर जाती हूँ रात भर तुम्हारी बाहों मे ,

फिर भी तुम मुझे सुबह तक समेट लाते हो,

मैं तो मर ही जाती हूँ,

फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो,


रात भर मुझ पर बेशुमार प्यार लुटाते हो,

सुबह होते ही खुद को मासूम और मुझको नीलम बताते हो,

मैं तो मर ही जाती हूँ ,

फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.
 

30 comments:

  1. neelam ji , aapne itni khoobsurat rachna likhi hai ki main kya kahun ... prem bhar bhar kar upar aa raha hai ......wah ji wah ....maine kayi baar padh li... bas ek bahaav me bahti hui rachna hai ...badhayi ..

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  2. ये तो बेहद भावभीनी रचना है मन को मोह लिया ………भावों का सुन्दर प्रस्तुतिकरण्।

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  3. प्रेम में जीना भी स्वयं का मरना है.
    प्रेम में स्वयं का मरना भी जीवन है.

    प्रेम की रसभीनी अभिव्यक्ति है आपकी कविता .
    बहुत शुभ कामनाएं

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  4. aap sabhi ka tahe dil se shukriya.

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  5. "main to marr hi jaati hoon......." - in shabdo ke andar chhipa wastavik pyar har koi nahi samajh payega neelima jee!!........mujhe to bas itna khna hai, aapke pass shabdo ki kami nahi, aur na hi soch ki...........bas jarurat hai usse ukerne ki...........aur aapko aasman chhune ki............keep it up!!

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  6. रात भर मुझ पर बेशुमार प्यार लुटाते हो,
    सुबह होते ही खुद को मासूम और मुझको नीलम बताते हो,
    मैं तो मर ही जाती हूँ ,
    फिर तुम मुझे कैसे जिंदा पाते हो.

    कमाल की पंक्तियाँ रची हैं नीलमजी .....हकीकत परक और प्रेम में पगी..... बहुत सुंदर

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  7. गजब का प्रेम रस। दिल को छू गई रचना।

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  8. प्यार में मौत पहले , फिर ज़िंदगी आती है...
    प्यार का खूबसूरत चित्रण किया है आपने ।

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  9. जीना मरना पल-पल यहाँ
    हंसना रोना पल-पल यहाँ
    आशिकों की बस्ती है प्यारे
    मुस्कुराते रहो पल-पल यहाँ

    सुंदर कविता

    आभार

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  10. इस प्यार भरी रचना के लिए बधाई स्वीकारें...
    नीरज

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  11. Wah Wah Kya Bat Hai
    Bahut Bahut Achhe Dil Khush Ho Gaya

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  12. कविता की समझ थोड़ी कम है, फिर भी जितना समझ आया किसी से बेहद प्रेम को सुन्दर तरीके से व्यक्त किया है.

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  13. प्रेम की गहन अनुभूति!
    सुन्दर कविता!
    --
    ब्लॉग का शीर्षक भी हिन्दी में ही लि लीजिए न।
    यही से कॉपी करके लगा दीजिए-
    "अहसास"

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  14. प्रेम भाव से सराबोर सुन्दर रचना

    आभार

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  15. एहसासों को समेटती हुई एक खूबसूरत रचना !

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  16. बेहतरीन , लाजवाब
    इतनी अच्छी कविता के लिए आप को बहुत बहुत बधाई

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  17. प्रेमरस बरस रहा है शायद बसण्त का असर है। बधाई आपको बसंतोत्सव की।

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  18. neelam ji aapki rachna apriyatam ha. aur har kisi ko kuch na kuch ehsash kara jaati hai.
    rohit. patrika bhopal
    kashyap-iandpolitics.blogspot.com

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  19. भावपूर्ण!!

    आपको एवं आपके परिवार को बसंत पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं.

    सादर

    समीर लाल
    http://udantashtari.blogspot.com/

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  20. तुम मरती होंगी बाद में पहले वह जाता होगा जान से
    रातों को जो तुमपे प्यार लुटाता होगा बड़े अरमान से

    यदि आप 'प्यारी मां' ब्लॉग के लेखिका मंडल की सम्मानित सदस्य बनना चाहती हैं तो कृपया अपनी ईमेल आई डी भेज दीजिये और फिर निमंत्रण को स्वीकार करके लिखना शुरू करें.
    यह एक अभियान है मां के गौरव की रक्षा का .
    मां बचाओ , मानवता बचाओ .
    http://pyarimaan.blogspot.com/2011/02/blog-post_03.html

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  21. यह कविता एक संवेदनशील मन की निश्‍छल अभिव्‍यक्तियों से भरा-पूरा है

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  22. नीलम जी माफ़ करें कविताओं पर अपनी नज़र बेहद कमजोर है पर फिर भी आपकी कविता कि श्रेष्ठता नज़र आ ही गयी. आम कविताओ कि परिपाटी से हट कर लिखी गयी रचना अच्छी लगी.

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  23. मरना सार्थक होता लग रहा है यहां
    मौत का एक अलग निराला रूप है।

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  24. बहुत बकवास कविता है. इसे कविता कहना उचित नहीं है.

    देखिये ज़ी, ऐसा है कि यहाँ टिप्पणीकारों ने आपकी कविता को बढ़िया, बहुत सुन्दर, अद्भुत, प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति और न जाने क्या-क्या कहा है. ऐसी टिप्पणी करने वालों में ऐसे लोंग भी हैं जो स्वयं बहुत बढ़िया लिखते हैं. लेकिन मेरे ख्याल से ऐसा करना ठीक नहीं है. इस तरह की टिप्पणियां एक बेकार कवियित्री/कवि को और बेकार बना देते हैं. आपसे अनुरोध है कि अच्छी कवितायें पढ़ें और जाने कि कविता का आयाम क्या होना चाहिए. उसके बाद अगर आपको लगे कि आप को लिखना चाहिए तो लिखें. साथ ही पाठकों की बेबाक राय के लिए भी तैयार रहें.

    अगर ऐसा नहीं हो सकता तो आप के लेखन में सुधार की संभावनाएं नहीं रहेंगी.

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  25. अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं।बधाई।

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  26. प्यार के गहरे रंगों से सराबोर kavita .महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

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  27. neelam ji kya baat hai sunder pyar se paripuran rachna

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