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Friday, June 30, 2017

तुम्हारे लफ्ज़ ...

तुम्हारे सारे लफ्ज पुरुष ही तो हैं जो शोर करते हैं भीड में
और मेरे लफ्ज स्त्री जो खामोशी में भी सुनते है पसरा हुआ सन्नाटा .

...नीलम..

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