Followers

Total Pageviews

Thursday, October 28, 2010

इंतज़ार........


 

दिन बिताये तुम्हारे इंतज़ार मे,

काट ली रातें, मैंने आँखों मे,

ना तुम आये लौट कर कभी ,

ना कभी खवाब आये रातों मे,

दिन भर मुस्कुराई तुम्हारा ख़याल करके,

और तुम्हे याद कर अश्क बहाए रातों मे,

तुम मिलते, तो गिला करती तुमसे,

खुद से शिकवे किये मैंने रातों मे,

तुमसे मिलना हुआ बस ख्यालों मे,

और यूँही मिलती रही जज्बातों से ,

आस अधूरी ही रही मिलन,

सावन की बरसातों मे,

वो कैसे जानता मेरे दिल की बात ,

जब कोई बात हुए ही नहीं अल्फाज़ो मे,

चाँद रोज निकलता है चाँदनी लेकर

और मैं सुलग रही हूँ रातों मे,

धरती मिलती है क्या कभी गगन से,

या फिर यूँही सफ़र किये जा रही हूँ कई सालों से ....



40 comments:

  1. acchee prastuti.......
    intzar kee ghadiya khatm ho isee shubhkamna ke sath.

    ReplyDelete
  2. bahut pyaare rachna... intzaar ko bhaut acchhe se prastut kiya hai aapne... bahut khoob...

    ReplyDelete
  3. चाँद रोज निकलता है चाँदनी लेकर

    और मैं सुलग रही हूँ रातों मे,

    धरती मिलती है क्या कभी गगन से,

    या फिर यूँही सफ़र किये जा रही हूँ कई सालों से ....

    ek baar fir se behatareen.......

    premika ke intzaar ko kitne pyare shabdo me aapne sajaya!!

    badhai sweekaren!!

    aapke sateek shabdo ko choose karna ka tareeka mujhe behad bhaya!!

    ReplyDelete
  4. इस शानदार रचना पर बधाई ....जैसे मैंने पहले भी कहा है आप कुछ उचाईयों को छूती हैं यही मुझे पसंद आता है ....बहुत सुन्दर भाव भर दिए हैं आपने ....और तस्वीर के चयन में आपकी पसंद की दाद देता हूँ |

    ReplyDelete
  5. सुन्दर अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  6. बेहतरीन , पर इन अहसासों को यदि लफ्ज़ न मिला तो न सही आपके खूबसूरत शब्द मिले ये भी क्या कम है !!
    कोई लाइन याद आ रही है -
    सो न सका , कल याद तुम्हारी आई सारी रात
    और पास ही कहीं शहनाईयां बजती रही सारी रात !

    ReplyDelete
  7. तुम न आये
    लो फिर आई
    जादूगरनी रात!

    उमड़ रहा जो मेरे मन मे
    नहीं तुम्हारे संवेदन मे,
    फिर भी बदली घिर घिर आई
    नयन लिए बरसात!!

    तुम न आये
    लो फिर आई जादूगरनी रात!

    कैसे जोहें बात तुम्हारी
    भरी हुयी आँखें बेचारी,
    सुधियों मे रह रह कर आयीं
    एक-एक हर बात!

    तुम न आये
    लो फिर आई जादूगरनी रात!

    देख रतजगा रोज-रोज का
    हुआ संकुचित चाँद गगन का,
    मगर चाँदनी लुटा न पायी
    स्वप्नों की सौगात!

    तुम न आये
    लो फिर आई जादूगरनी रात!

    *amit anand

    ReplyDelete
  8. दिल के जज्बातों को लफ्ज़ दिए हैं आपने ... बबुत ही अच्छी नज़्म ....

    ReplyDelete
  9. शानदार रचना पर बधाई बहुत सुन्दर भाव

    ReplyDelete
  10. नीलम जी आप की रचना मनभावन लगी| वैसे भी अनुभूतियों की सफलतम अभिव्यक्ति ज़्यादातर नारी शक्ति के हिस्से ही आती है और हम पुरुषों को इस सच को स्वीकार करने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए| आशा है आगे भी आप को पढ़ने के अवसर मिलते रहेंगे| इस रचना के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें|

    ReplyDelete
  11. मैं और मेरा समय रहा बस, बीत गयी इन बातों में।

    ReplyDelete
  12. वो कैसे जानता मेरे दिल की बात ,

    जब कोई बात हुए ही नहीं अल्फाज़ो मे,
    दिल की बात बिन कहे भी जानी जाती है
    बहुत सुन्दर भावमय रचना बधाई।

    ReplyDelete
  13. तुम मिलते, तो गिला करती तुमसे,

    खुद से शिकवे किये मैंने रातों मे,

    तुमसे मिलना हुआ बस ख्यालों मे....

    Lovely creation !

    .

    ReplyDelete
  14. वस्‍ल की रात, तेरा इंतिज़ार भारी है
    तुम्‍हारी ओर मगर ये सफ़र भी जारी है।

    ReplyDelete
  15. इस दिलकश और बेहतरीन रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें...

    नीरज

    ReplyDelete
  16. बहुत उम्दा रचना.

    ReplyDelete
  17. चाँद रोज निकलता है चाँदनी लेकर

    और मैं सुलग रही हूँ रातों मे,

    धरती मिलती है क्या कभी गगन से,

    या फिर यूँही सफ़र किये जा रही हूँ कई सालों से ....
    ek ajeeb si ghutan hai isme

    ReplyDelete
  18. आपकी कविता सीधी दिल से निकलकर दिल में आती है .. बहुत संवेदना है ..बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  19. bahut sunder rachna hai, achha laga aapko padhna.

    shubhkamnayen

    ReplyDelete
  20. bahut sunder ....aapke jazbat aapke dil se nikal kar hamare dil tak pahunch gaye.....

    ReplyDelete
  21. badhiya hai.dipawali ki shubhakamanayen.

    ReplyDelete
  22. "जब कोई बात हुए ही नहीं अल्फाज़ो मे"
    हुए को हुई कर लें, सुन्दर रचना है लेकिन और भी सुन्दर हो सकती है!

    ReplyDelete
  23. दीदी सब कुछ तो रात मे करते हो तो दिन मे सोते हो क्या
    (माफ करना मजाक करने की आदत है )


    तुमसे मिलना हुआ बस ख्यालों मे,
    और यूँही मिलती रही जज्बातों से ,

    बहुत सुन्दर अहसास भरी रचना है

    ReplyDelete
  24. चाँद रोज निकलता है चाँदनी लेकर लेकिन अमावस्या को उसकी छुट्टी रहती है, अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  25. आदरणीय नीलम जी
    नमस्कार .....
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    खुद से शिकवे किये मैंने रातों मे,
    तुमसे मिलना हुआ बस ख्यालों मे,
    भावनात्मक प्रस्तुति....पर इस हालत में भी आनंद आता है
    आपके ब्लॉग तक पहुच कर बहुत अच्छा लगा ....आपके भावों को अभिव्यक्त करने का अंदाज बहुत निराला है ...हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  26. ved-awesome neelu.:).

    ReplyDelete
  27. दिन बिताये तुम्हारे इंतज़ार मे,

    काट ली रातें, मैंने आँखों मे,

    ना तुम आये लौट कर कभी ,

    ना कभी खवाब आये रातों मे,
    .
    .
    Awesome... asusual...... :) aapki her ghajal,poem,sher hume bahut acheee lagte.. hai.... aise hi likhti rahiyegaaa....
    .
    achaa lagta hai........ aapki ghajal,poems parnaa....

    ReplyDelete
  28. यूँही सफ़र किये जा रही हूँ कई सालों से ...satya to yahi rah jata hai

    ReplyDelete
  29. सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति....
    हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  30. चाँद रोज निकलता है चाँदनी लेकर

    और मैं सुलग रही हूँ रातों मे,

    धरती मिलती है क्या कभी गगन से,

    या फिर यूँही सफ़र किये जा रही हूँ कई सालों से ....

    बहुत ही बेहतरीन रचना...

    ReplyDelete
  31. क्या कहने साहब ।
    जबाब नहीं निसंदेह ।
    यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
    धन्यवाद ।
    satguru-satykikhoj.blogspot.com

    ReplyDelete
  32. देखिए, नया मौसम आया, नया सवेरा हुआ है.

    ReplyDelete
  33. ख़याल सुंदर बोल मधुर हैं नीलम तेरे
    दुख भूला 'अनवर' सुख पाया तेरी बातों में

    @ निर्मला जी से सहमत ।

    ReplyDelete
  34. दिन भर मुस्कुराई तुम्हारा ख़याल करके,
    और तुम्हे याद कर अश्क बहाए रातों मे,
    behad hi khubsurat. mere blog ko follow karne ke liye mai tahe dil se aapka shukriya ada karta hu.

    ReplyDelete
  35. kya kahun , kuch kahne ke liye ab shabd nahi hai hai , i am speechless.

    kuch panktiyon ne to seedhe dil par hi asar kiya hai ..

    vijay

    ReplyDelete
  36. चाँद रोज निकलता है चाँदनी लेकर

    और मैं सुलग रही हूँ रातों मे,
    वाह विरोधाभासी अलन्कार सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  37. एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है, इनकार करने पर भी, चाहत का इक़रार क्यों है, उसे पाना नहीं मेरी तक़दीर शायद, फिर भी हर मोड़ पर उसी का इंतज़ार क्यों है।

    ReplyDelete