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Wednesday, October 5, 2016

मैं लेखिका नहीं

मैं लेखिका नहीँ हूँ
मगर फ़िर भी लिखती हूँ कविता
कुछ यादें
कुछ सपने
और कुछ अहसास
जो हैं मेरे लिये बहुत खास
मेरे लिये मेरी कवितायें हैं
ओस की बूँदों के समान
खिड़की पर बैठ मेरा इंतजार करता हुआ चाँद है मेरी कविता
सूखे पत्ते ,नम सम्वेदनाएँ
और
मील के पत्थर है मेरी कविता
थोड़ी तन्हाई - थोड़ी रुस्वाई
थोड़ी मोहब्बत
और थोड़ा सा इनकार है मेरी कविता
मैं लेखिका तॊ नहीँ हूँ
मगर
फ़िर भी लिखती हूँ कविता - - - नीलम - - - -

1 comment:

  1. ऐसा तो बहुतों के साथ होता है .... आप इसे शब्दों में ढाल सकीं हैं..... बहुत सुंदर

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