ख्यालों मै खोना
कुछ खवाब बंज़र जमीन पर बोना
कैसा होता है न
ऐसा, जैसे खुद ही मै खो जाना
ख्यालों मै ही सही
पर तेरा हो जाना
रह ताकना उन राहों की
जहाँ कोई लौट कर नहीं आता
उसी रह पर
कैसा लगता है
मील का पत्थर हो जाना
तेरा जाना फिर भी
उम्मीद दे जाता है
तेरा, मेरा हो जाना.
****नीलम***
सुन्दर एहसास के साथ लाजवाब रचना! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!
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